वाराणसी कोतवाली के अम्बियामण्डी चौकी प्रभारी ने पेश किया इन्सानियत की वो मिसाल जिसने भी जाना बोल उठा वाह…….!

ए0 जावेद

वाराणसी: वैसे तो खाकी हमेशा से कलम के निशाने पर ही रहती है। आम जन में भी तारीफों से कही ज्यादा पुलिस को अलोचनाओ का शिकार होना पड़ता है। मगर इस कोरोना काल में खुद की ज़िन्दगी को दाव पर लगाते हुवे उत्तर प्रदेश पुलिस ने जो कर दिया है वह पुरे विश्व में एक मिसाल कायम हुई है। कही अपनो ने मरने के बाद अंतिम संस्कार से इन्कार किया तो पुलिस ने अंतिम संस्कार किये, तो कही किसी मरीज़ को ज़रूरत पड़ी तो उसके लिए खुद के खर्च पर दवा इलाज करवाया। वर्दी पहने जिसको समाज क्रूर की दृष्टि से देख रहा था अचानक उसके मुलायम दिल को देख कर आम नागरिक उसका कायल हो गया।

ऐसा ही एक इंसानियत के जज्बे का उदहारण देखने को मिला कोतवाली थाना क्षेत्र के हरतीरथ इलाके में। कोतवाली थाना क्षेत्र के अम्बिया मण्डी चौकी पर तैनात चौकी प्रभारी अखिलेश वर्मा आज मामूल के अनुसार दोपहर में वाहनों की चेकिंग और सुरक्षा व्यवस्था को हरतीरथ चौराहे पर खड़े होकर नियंत्रित कर रहे थे। इस दरमियान उनकी नज़र एक बुजुर महिला पर पड़ी। महिला के आँखों में नमी देख कर वह धीरे से उसके पास जाते है और महिला से उसके उदासी का कारण बहुत ही स्नेह के साथ पूछते है। पूछते है कि “माँ जी बताये क्या हुआ ?” पहले तो महिला संकोच करती है और कहती है कुछ ही, मगर अगले शब्द ने महिला के बढ़ते कदम को रोक दिया। अखिलेश वर्मा ने कहा “अपने इस बेटे को नही बताएगी कि क्या हुआ ?”

इसके बाद महिला ठिठक कर रुक गई और धीरे से नजरे नीचे किये कहा कि “राशन खरीदने आई थी, महज़ 100 रूपये थे, न मालूम कहा गिर गए। घर में राशन नही है।” सभ्य दिखाई दे रही महिला की नज़रे ज़मीन में धंसी थी और आँखे नम थी। उस महिला की बात सुनकर चौकी प्रभारी अम्बिया मण्डी उसको पास पड़े बेंच पर बैठाते है और पानी पिलाते है। इस दरमियान बंद हो रही एक चाय की दूकान को एक चाय महिला को देने को कहते है और सामने ही अपनी दूकान को बंद कर रहे राशन विक्रेता की दूकान पर जाकर उसको कुछ बताते है और खुद का बटुआ निकला कर कुछ पैसे देते है। महज़ दस मिनट में ही एक बोरिया में राशन भर कर दूकानदार उस महिला के पास लाकर उसको रख देता है।

इतना राशन देख कर बुज़ुर्ग महिला भी पेशो पेश में पड़ गई। उन्होंने अखिलेश वर्मा से इसके लिए धन्यवाद कहा। एसआई अखिलेश वर्मा ने उधर से गुज़र रहे एक रिक्शे वाले को रोका और महिला का सामान उस रिक्शे पर रखवाते हुवे बुज़ुर्ग महिला को ससम्मान उस रिक्शे पर बैठा कर कहा माँ जी कोई ज़रूरत और हो तो मुझको यही आकर मिल लीजियेगा। यह कह कर उन्होंने रिक्शे वाले को 20 रुपया देते हुवे कहा कि माँ जी को जहा जाना है वहा छोड़ देना।

महिला के जाते समय हमने एक फोटो लेने की कोशिश किया तो अखिलेश वर्मा ने बड़ी विनम्रता से हमको मना करते हुवे कहा कि “मित्र नही, मैंने अपने समाज के प्रति कर्तव्यो का निर्वहन किया है। किसी की फोटो खीच कर समाज में उसके सम्मान के साथ खिलवाड़ हो जायेगा।” हम भी इस बात से निरुत्तर थे। हमने फोटो न खीचने का फैसला किया और मोबाइल जेब के हवाले कर दिया। जाती हुई महिला को देखा। उसके चेहरे की प्रसन्नता देख कर हम सिर्फ ये सोच रहे थे कि महज़ 100 रुपया लेकर निकली इस महिला के लिए ये राशन शायद एक महीने चलेगा। बेशक आज अखिलेश वर्मा की इंसानियत ने दिल जीत लिया।

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