“हम होंगे कामयाब एक दिन” : भारतीय समाज एकरंगा बनाने की कोशिश बेहद खतरनाक

शाहीन बनारसी

वाराणसी। तीन दिन तक “प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण” शिविर के समापन पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये कार्यकर्ता इस नारे के साथ अपने घरों को लौट गये कि “हम होंगे कामयाब एक दिन, मन में है विश्वास…”। साझी विरासत और मेल-जोल की भारतीय संस्कृति का विस्तार करने की शपथ लेने के साथ ही उन्होंने माना कि सतरंगी भारतीय संस्कृति को एकरंगी बनाने की कोशिश ही मुल्क के लिए सबसे बड़ा खतरा है जिससे मुल्क को बचाने की जरूरत है।

तरना स्थित नवसाधना कला केन्द्र में ‘राइट एंड एक्ट’ संस्था की तरफ से आयोजित प्रशिक्षण शिविर में चले तीन दिनी मंथन में वक्ताओं ने कहा कि साझी विरासत और मेल-जोल की जो संस्कृति भारत में है वह दुनिया के किसी देश में नहीं है। भारतीय समाज हमेशा से सतरंगा रहा है आज कुछ ताकते उसे एकरंगा बनाने की कोशिश कर रही है जिससे हमें सतर्क रहना होगा। वक्ताओं ने कहा कि आजादी का आंदोलन रहा हो या फिर उसके पहले काल, उस दौर के नायकों को भी एक दूसरे के खिलाफ लड़ाने की कोशिश हो रही है। नये नायक और प्रतीक स्थापित कर के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की कोशिश की जा रही है।

मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि खुदा और बंदों का ध्यान रखना ही हर धर्म का मूल है जो ऐसा नहीं करता समाज उसे अधर्मी मानता है। इसलिए प्यार-मोहब्बत से जीना और सबका ख्याल रखना चाहिए। काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत राजेन्द्र तिवारी ने कहा कि आज धर्म को सियासत की चासनी में लपेटकर सरकार बनाने और बिगाड़ने का दौर शुरू है। ये किसी लोकतांत्रिक देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि आज धर्माधिकारियों और धर्म के व्यापारियों में समाज को बांट दिया गया है। इससे हमें सावधान होना चाहिए।

फादर आलोक नाथ ने कहा कि ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’ इस गीत को ही केंद्र में रखकर हम सभी को समाज निर्माण की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि विभिन्न धर्मों में खुलापन का दौर काफी विलंब से शुरू हुआ। इसके बावजूद आज हम सभी दूसरे धर्मों की अच्छाइयों को देखने-सुनने के बाद उसे अपने धर्म का हिस्सा बनाते हैं। इन्हीं अच्छाइयों के चलते देश की सतरंगी तस्वीर बनी है।

सामाजिक कार्यकर्ता वल्लभ पांडेय ने प्रशिक्षणार्थियों को 17 ऐसे एक्ट की जानकारी दी जो समाज के हर तबके के लिए उपयोगी है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों की जानकारी देकर ही हम समाज के अंतिम व्यक्ति को न्याय दिला सकते हैं। उन्होंने आरटीआई का इस्तेमाल कैसे और कब करें, इस बात की भी जानकारी दी। सामाजिक कार्यकर्ती श्रुति रघुवंशी ने महिलाओं के मुद्दों पर चर्चा करते हुए प्रशिक्षुओं को इस बात का ग्रुप्स में प्रशिक्षण दिया कि वह अपने-अपने जिलों में जाकर कैसे काम करेंगे।

आयोजक डा0 मुहम्मद आरिफ ने कहा कि तीन दिनों तक चले प्रशिक्षण शिविर की उपयोगिता तभी सार्थक होगी जब प्रशिक्षणार्थी अपने-अपने जिलों और गांव में जाकर समाज निर्माण की दिशा में काम करेंगे। शिविर में उत्तर प्रदेश के लगभग 20 जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 मोहम्मद आरिफ ने और प्रतिभागियों की ओर से स्वागत विनोद गौतम तथा धन्यवाद ज्ञापन अयोध्या प्रसाद ने किया।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *