वाराणसी: सपा प्रत्याशी अशफाक अहमद डब्लू ने किया नामांकन, बुनकरों की समस्या हल करने का आश्वासन, मगर कुरैशी समाज के समस्याओं के मुद्दे पर रहे खामोश

शाहीन बनारसी

वाराणसी। समाजवादी पार्टी के उत्तरी विधानसभा प्रत्याशी अशफाक अहमद डब्लू ने आज अपना नामांकन दाखिल किया। अशफाक अहमद डब्लू के नामांकन में उनके साथ पूर्व राज्य मंत्री मनोज राय और पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेन्द्र पटेल साथ थे। नामांकन कक्ष से बाहर निकलने पर अशफाक अहमद डब्लू मीडिया से मुखातिब हुवे और उनके सवालो का जवाब दिया। भारी समर्थको के साथ नामांकन करने पहुचे अशफाक अहमद डब्लू ने साबित किया कि उत्तरी की लड़ाई इस बार सपा के लिए इतनी आसान नही है।

मीडिया से बात करते हुवे अशफाक अहमद डब्लू ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जो वायदा किया है, सरकार बनते ही उसको तुरंत पूरा किया जायेगा। उत्तरी विधानसभा के रुके विकास को दुबारा तेज़ी के साथ शुरू किया जायेगा। बुनकरों पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बुनकर समाज के लिए सपा ने हमेशा विचार किया और उनके हितो के हेतु काम किया। जब हमारी सरकार थी तो हम 50 रुपयों में बुनकरों को बिजली देते थे। आज बिजली का दाम बढ़ जाने के बाद बुनकर बेहाल है। हमारी सरकार बनते ही बिजली के दाम कम होंगे और बुनकरों में फिर से खुशहाली लौटेगी।

सामाजिक एकता की बात करते हुवे अशफाक अहमद डब्लू ने कहा कि समाज के हर वर्ग का उत्थान होगा और हम इस समाज का भला करेगे। हिजाब के मुद्दे को उन्होंने सियासी चाल बताते हुवे कहा कि हम सब एक है। ये सब सिर्फ समाज को बाटने के लिए किया जाने वाला एक प्रोपेगंडा है। हिजाब मुद्दे पर इसके अतिरिक्त कुछ भी कहने से अशफाक अहमद डब्लू बचते हुवे दिखाई दिए। उन्होंने सामाजिक एकता की बातो को कई बार दोहराया। इस दरमियान कुरैशी समाज पर पूछे गए बयान पर अशफाक अहमद डब्लू ने लगभग पल्ला झाड लिया।

बताते चले कि वाराणसी में लगभग 10 हज़ार परिवार ऐसा है जिनका रोज़गार पुश्तैनी मांस बिक्री है। वाराणसी के दोनों बुचड खाने बंद कर दिए गए थे। जिसको बाद में आधुनिक तकनीक से युक्त बनाने के लिए बजट भी पास हुआ था कि पर्यावरण के अनुसार बुचड खाने बने, मगर सत्ता परिवर्तन के बाद काम की बात वर्त्तमान योगी सरकार ने किया था। जिसके बाद एक काम भी शुरू हुआ। मगर फिर बीच में ही काम रुक गया,

अब वर्त्तमान में स्थिति ऐसी है कि कसाई समाज के नाम से जाना जाने वाला कुरैशी वर्ग अब अपनी रोज़ी रोटी के लिए तंगहाल है। मांस की सप्लाई मिर्ज़ापुर से होने के कारण जो समस्या उत्पन्न होती है वह अलग ही है। कुरैशी समाज के सामने रोज़ी रोटी के लाले पड़े है। अकेले उत्तरी विधानसभा की बात करे तो लगभग 5 हज़ार परिवार के आय की श्रोत ये बुचड खाने ही थे। मगर बुचड खाने बंद होने के बाद से कुरैशी (कसाई) समाज रोज़गार के लिए परेशान हाल है। इस मुद्दे पर कोई भी सियासी दल बात करने को तैयार नही रहता है। मगर हकीकत ये है कि प्रदेश में इस वर्ग के रोज़गार पर बड़ा प्रभाव पड़ा है।

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