उत्तर प्रदेश विधानसभा की वह 7 सीट जहा ओवैसी की AIMIM के चक्रव्यूह में फंसे मुस्लिम मतदाता, उतर गई आखरी मिनट में सायकल की चेन और खिला कमल

तारिक़ आज़मी

मुस्लिमो का खुद को रहनुमा समझने वाले और अक्सर विवादित बयानों से चर्चा में रहने वाले सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने उत्तर प्रदेश चुनावों में अपना कदम रखा और कई सीट पर चुनाव लड़ा। ओवैसी हर एक मंच से अख्लियत (अल्पसंख्यक) की बाते करते है और सत्ता में हिस्सेदारी की बाते करते है। हकीकत में अपने जज्बाती बयानों के कारण वह मुस्लिम वर्ग की हमदर्दी इकट्ठा करने का प्रयास करते है।

बिहार विधानसभा चुनावो में ओवैसी ने शिरकत किया और वहा 5 विधान सभा सीट अपने नाम दर्ज कर खुद का झंडा बुलंद किया। वैसे बताते चले कि बिहार के सिमांचल से ओवैसी ने उन्ही 20 सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जहा से मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक थी। नतीजे आये सामने और ओवैसी ने सीमांचल की 5 सीट अपने नाम कर लिया। मगर इन 5 सीट का असर आसपास की अन्य सीट पर भी दिखाई दिया था ऐसा सियासी जानकार मानते है। इस 5 सीट पर जीत के बाद ओवैसी के हौसलों ने अपनी परवाज़ लिया और उन्होंने अपने कदम पश्चिम बंगाल की तरफ बढ़ाने चाहा।

बिहार चुनाव समाप्त होने के बाद ओवैसी की नज़रे पश्चिम बंगाल का सियासी नज़ारा देखने को बेताब थी। सियासी जानकारों की माने तो ओवैसी को पश्चिम बंगाल ने तवज्जो ही नही दिया और उनको सिर्फ 7 प्रत्याशी चुनाव में मिल सके। वह भी सभी 7 के 7 औंधे मुह गिरे और चुनावों में कुछ अधिक नही कर सके। इसके बाद फिर उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनावों की घोषणा होनी थी तो ओवैसी की महत्वाकांक्षा ने उत्तर प्रदेश का रुख कर डाला। ओवैसी के कदम उत्तर प्रदेश की तरफ बढे।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में ओवैसी ने काफी सियासी दाव अपनाये। प्रयागराज के बाहुबली अतीक अहमद के परिवार में टिकट देने की घोषणा तक कर डाला। मुस्लिम मतदाताओं के नज़र में पैठ बनाने के लिए ओवैसी ने अतीक अहमद के परिवार को साधने का प्रयास किया था, मगर अतीक का परिवार चुनाव लड़ने को तैयार ही नही हुआ और अरमान आंसुओ के रस्ते शायद निकल पड़े होंगे। मगर ओवैसी ने हार नही मानी और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में जमकर अपने प्रत्याशियों को खडा किया। यहाँ ओवैसी ने अपने 100 से अधिक प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे। वीडियो वैन से लेकर अन्य प्रचार सामग्री से लैस उनके प्रत्याशियों ने जमकर मुस्लिम हितो की बात किया और यहाँ तक दावा किया गया कि हम मुस्लिम सीएम न बना सके तो कम से कम डिप्टी सीएम मुस्लिम बनायेगे। डिप्टी सीएम के सपने पाले गए और ख्वाबो को सजाया गया।

वैसे तो ओवैसी कुछ ख़ास नही कर पाए और उनका कोई भी प्रत्याशी कही चुनाव जीतने की तो बात छोड़े अपनी ज़मानत तक नही बचा सका। मगर इस चुनाव में ओवैसी की शिरकत होने से सबसे बड़ा नुक्सान किसी का हुआ तो वह थी सपा गठबंधन। उत्तर प्रदेश की विधानसभा सीटो पर नज़र डाले तो ओवैसी ने यहाँ कुछ भी अपना करामात नही दिखाया। मगर इतना ज़रूर हुआ कि ओवैसी के कारण 7 विधानसभा सीट पर उनकी पार्टी AIMIM ने सायकल को पंचर कर डाला, और आखरी लम्हों में सायकल की चेन उतार दिया। जिसका फायदा सीधा सीधा भाजपा को पंहुचा। आइये उन सीटो पर नज़र डालते है जहा भाजपा की जीत में एक वजह ओवैसी की पार्टी AIMIM भी बनी और सायकल की चेन रेस के आखरी लम्हों में उतर गई।

  1. बिजनौर

बिजनौर विधानसभा सीट मुस्लिम बाहुल्य इलाके की सीट है। यहाँ मुस्लिम मतदाता गेम चेंजर की भूमिका में है। मुस्लिम बहुल बिजनौर विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत हुई है। बिजनौर सदर पर भाजपा कैंडिडेट सुची को 96310 वोट मिले और सपा-आरएलडी प्रत्याशी नीरज चौधरी को 94,990 वोट मिले। यहाँ इस प्रकार से सपा गठबंधन 1320 मतो से चुनाव हार गया। अब यहाँ ओवैसी फैक्टर को चेक करे तो यहाँ से ओवैसी की पार्टी AIMIM के मुनीर अहमद को टिकट दिया था। मुनीर अहमद सियासत का कोई बड़ा नाम अथवा चर्चित चेहरा बिजनौर के लिए भी नही थे। मगर उन्हों 2282 वोट मिले हैं। अब अगर नफे नुक्सान के पैमाने पर देखे तो AIMIM के न लड़ने की स्थिति में ये मतदाता अपने नेक्स्ट आप्शन में फिर सपा गठबंधन को रखते जिसका फायदा सपा गठबंधन को होता।

  1. कुर्सी

सबसे कांटे की टक्कर के सीट की बात करे तो एक सीट बाराबंकी जनपद की कुर्सी सीट थी। यहाँ पर सपा का खेल ओवैसी की पार्टी ने बिगाड़ डाला और आखरी मिनट में सायकल की चेन यहाँ भी उतार दिया। भाजपा के प्रत्याशी सकेंद्र प्रताप ने सपा उम्मीदवार राकेश वर्मा को 520 वोटों से हराया। यहाँ ओवैसी साहब ने कामिल अशरफ खान को टिकट देकर चुनाव मैदान में जंग लड़ने के लिए खड़ा किया था। कामिल अशरफ खान बहुत कुछ तो चुनावों में नही कर पाए मगर अपने पीछे भीड़ काफी इकठ्ठा कर रखा था। कामिल अशरफ की भीड़ मतों में तब्दील नही हुई मगर उनको इतने मत मिल गए जिसने चुनावी नतीजो का रुख ही बदल दिया। यहाँ कामिल अशरफ खान को 8533 वोट मिले। यानी यहां भी ओवैसी ने सपा का खेल बिगाड़ दिया।

  1. नकुड़

सहारनपुर की नकुड विधानसभा सीट पर ज़बरदस्त कांटे की टक्कर थी। सहारनपुर जिले की नकुड़ सीट मुस्लिम प्रभाव वाली है। यहाँ मुस्लिम मतदाता गेम चेंजर की तरह है। यहां बीजेपी उम्मीदवार मुकेश चौधरी ने सपा प्रत्याशी धर्म सिंह सैनी को महज 155 वोट के अंतर से हरा दिया। यहां ओवैसी ने AIMIM के टिकट पर  रिजवाना को चुनाव मैदान में उतारा था और रिजवाना ने खूब मुस्लिम जज्बातो वाली बाते किया। जज़्बात तारी हुवे और रिजवाना को 3591 वोट हासिल हुए। अगर सपा प्रत्याशी के वोटों में AIMIM के वोट जोड़ लिए जाए तो यहां भी सायकल की चेन आखरी मिनट में ओवैसी ने उतार दिया और कमल खिल गया।

  1. शाहगंज

जौनपुर की शाहगंज सीट पर भाजपा गठबंधन ने पहली बार जीत का खाता खोला। यहाँ से ललई जैसे नेता को उतार कर सपा ने बड़ा दाव खेला था। जबकि भाजपा ने ये सीट निषाद पार्टी के खाते में दिया था और निषाद पार्टी ने यहाँ अपना उम्मीदवार रमेश सिंह को बनाया था। यहाँ काटे की टक्कर में ललई को हार का सामना करना पड़ा और पहली बार भाजपा गठबंधन की जीत इस सीट पर हुई। यहाँ रमेश सिंह ने 86980 वोट पाए और सपा गठबंधन के उम्मीदवार शैलेंद्र यादव ललई को मिले 85733 वोट के बाद 1247 मतो से चुनाव जीत कर भाजपा गठबंधन का इस सीट पर पहली बार खाता खोला। ओवैसी ने यहाँ AIMIM के टिकट पर नयाब अहमद खान को चुनाव मैदान में उतारा था और नायाब खान ने इस सीट पर 8127 वोट हासिल किये। जिसके कारण सपा की सायकल पर सवार ललई की चेन आखरी मिनट में उतर गई और वह चुनाव हार गए।

  1. औराई

औराई से बीजेपी प्रत्याशी दीनानाथ भाष्कर को 93438 वोट मिले। वहीं, सपा के अंजनी को 91427 वोट हासिल हुए। यहाँ ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी को 2188 वोट मिले। बीजेपी ने 2011 वोटों के मार्जिन से सपा को हराया। जबकि ओवैसी की पार्टी के खाते में 2188 वोट गए।

  1. सुल्तानपुर

यहाँ हम ख़ास तौर पर तवज्जो दिलवाना चाहेगे सुल्तानपुर सीट की। इस सीट के पड़ोस में इसीली विधानसभा सीट है। यहाँ बाहुबली सोनू सिंह-मोनू सिंह के परिवार से मोनू सिंह चुनाव मैदान में थे। सोनू सिंह और मोनू सिंह का अच्छा ख़ासा प्रभाव सुल्तानपुर विधानसभा सीट पर भी है, जबकि अनूप सांडा का बढ़िया प्रभाव इसौली विधानसभा सीट पर है। गुप्त सूत्रों की माने तो दोनों के सम्बन्ध भी काफी अच्छे है और दोनों एक दुसरे को समर्थन भी दे रहे थे। मगर दोनों सीट पर भाजपा जीत गई और इसौली तथा सुल्तानपुर में सारे समीकरण फेल हो गए। सुल्तानपुर में भाजपा के विनोद सिंह को 92245 वोट मिले तो सपा से अनूप सांडा को 90857 वोट मिले। अनूप सांडा यहाँ से 1388 मतों की शिकस्त खा गए। अब यहाँ ओवैसी फैक्टर को देखे तो यहाँ से ओवैसी ने अपनी पार्टी AIMIM से मिर्जा अकरम बेग को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था। अकरम बेग यहाँ से 5251 वोट पाते है। ध्यान देने वाली बात ये है कि अकरम बेग ने यहाँ जमकर मुस्लिम कार्ड का प्रयोग बतौर विक्टिम कार्ड किया था।

  1. मुरादाबाद

भाजपा के रितेश कुमार गुप्ता को 147484 वोट मिले हैं तो सपा के युसुफ अंसारी को 147069 वोट हासिल हुए। सपा गठबंधन को इस सीट पर 415 वोटों से बीजेपी से हार मिली है। AIMIM प्रत्याशी वकी रशीद को 2658 वोट मिले।

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