नई दिल्ली जहागीरपूरी हिंसा प्रकरण पंहुचा सुप्रीम कोर्ट के दर पर, अदालत की निगरानी में हुई जाँच की मांग

आदिल अहमद

नई दिल्ली: दिल्ली जहागीरपूरी हिंसा प्रकरण अब सुप्रीम कोर्ट के चौखट पर पहुच गया है। सीजेआई के समक्ष एक पत्र याचिका दाखिल कर मामले में अदालत से स्वतः संज्ञान लेते हुवे कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जाँच करवाए जाने की इल्तेजा की गई है। याचिका देने वाले वकील ने आरोप लगाया है कि दिल्ली पुलिस की अब तक की जांच पक्षपाती, सांप्रदायिक और दंगों की तैयारी करने वालों को सीधे तौर पर बचाने वाली रही है। वकील अमृतपाल सिंह खालसा ने पत्र में कहा कि 2020 के दंगों में दिल्ली पुलिस की छवि कमजोर हुई है और लोगों का उस पर विश्वास कम हुआ है।

वकील ने कहा कि ऐसा दूसरी बार है जब राजधानी में दंगे भड़के हैं, हालांकि केवल “अल्पसंख्यक” समुदाय के सदस्यों को दोषी ठहराया जाएगा। मीडिया रिपोर्टों पर भरोसा करते हुए पत्र याचिका में कहा गया है कि हनुमान जयंती शोभा यात्रा जुलूस में शामिल कुछ सशस्त्र लोगों ने मस्जिद में प्रवेश किया और भगवा झंडा लगाया। इसके बाद दोनों समुदायों द्वारा पथराव किया गया। इस पूरी घटना में 7 से 8 दिल्ली पुलिस के कर्मी और नागरिक गंभीर रूप से घायल हो गए और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा।

राम नवमी और हनुमान जयंती पर दिल्ली और सात राज्यों में हुई हिंसा का मामला भी अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। वकील विनीत जिंदल ने याचिका दाखिल कर हिंसा की NIA से जांच कराने की मांग की। जिंदल ने इन घटनाओं में ISIS जैसे राष्ट्रविरोधी और अंतर्राष्ट्रीय आतंकी जेहादी संगठनों के लिंक का पता लगाने के लिए NIA जांच की मांग की। साथ ही याचिका में कहा गया है कि हिंसा से संबंधित मामलों की जांच NIA को सौंपने के आदेश जारी किए जाएं।

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