प्रयागराज सामूहिक हत्याकांड: 5 साल…!, 12 सामूहिक हत्याकांड….!, कई समानताये….! आखिर कैसे पुलिस की नज़र से बच रही है?
तारिक़ आज़मी संग शाहीन बनारसी
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए सामूहिक हत्याकांड से हडकंप मच गया है और गंगापार इलाका चर्चा में है। इसके पहले भी कई सामूहिक हत्याकांड अंजाम दिया जा चूका है जिसने लोगो का दिल दहला दिया है। अभी कुछ दिनों पहले ही सामूहिक हत्याकांड हुआ था जिसमे दंपत्ति व तीन बच्चो की हत्यारों ने गला रेत कर हत्या कर दिया था। वही कल फिर थरवई में हुए सामूहिक हत्याकांड से सभी का दिल दहल गया है। पूर्व में हुई घटनाओं को देखें तो पता चलता है कि लगातार पिछले 5 सालों से यह इलाका सामूहिक हत्याकांडों से दहलता रहा है।
महज़ चंद महीनो में ही कई वारदातों का गवाह प्रयागराज बना है। ऐसी वारदातों में पूरा का पूरा परिवार ही मौत के घाट उतार दिया जा रहा। अभी महज़ 5 महीने पहले ही एक ऐसी ही वारदात फाफामऊ के गोहरी में हुई थी, जिसमें एक परिवार के चार लोगों को बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था। सबसे अहम बात ये है कि इस मामले का अब तक पुलिस खुलासा नहीं कर पाई है। आइये आपको प्रयागराज के वारदातों पर एक नज़र डलवाते है।
- नवंबर 2021 में फाफामऊ के गोहरी में एक परिवार के चार लोगों की हत्या की गई थी।
- सितंबर 2021 में नवाबगंज के जगदीशपुर माली गांव में मां-बेटी की हत्या
- जुलाई 2020 में होलागढ़ के बरई हरख गांव के शुकुलपुर मजरा निवासी विमलेश पांडेय, दो बेटियों व एक बेटे की निर्ममता से हत्या
- जुलाई 2020 में सोरांव के चांदपुर मनी का पूरा में पति-पत्नी की हत्या
- मई 2020 में मांडा के आंधी गांव में पति-पत्नी व उनकी 16 वर्षीय बेटी की हत्या
- जनवरी 2020 में सोरांव यूसुफपुर में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या
- वर्ष 2019 में थरवई के सरायचंडी में दंपति हत्याकांड
- सितंबर 2018 में सोरांव के बिगहियां गांव में कमलेश देवी, उसकी बेटी-दामाद व नाती विराट की बेरहमी से हत्या।
- मार्च 2018 में नवाबगंज के शहावपुर उर्फ पसियापुर गांव में सुशीला देवी व उसके दो बेटे सुनील व अनिल की नृशंस हत्या।
- अप्रैल 2017 में नवाबगंज के शहावपुर गांव में मक्खन गुप्ता, उनकी पत्नी मीरा देवी, बेटी वंदना व निशा की हत्या
- मार्च 2017 में थरवई के पड़िला महादेव मंदिर पर राजस्थान से आए एक दंपती और उसकी बेटी को जलाकर मार डाला गया
पूर्व में हुए सामूहिक हत्याकांडों और इस वारदात के बीच अगर समानताये देखे तो कई समानताएं साफ़ साफ़ नज़र आ रही हैं। जिसके कारण जनपद में किसी साइको सीरियल किलर अथवा सीरियल किलर गैंग के एक्टिव होने की तरफ इशारा कर रही है। सबसे बड़ी और पहली एकरूपता इन वारदातों में ये है कि इन वारदातों में ऐसे घरों को निशाना बनाया गया जहां रहने वालों की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी। खाते कमाते लोग ही थे। दूसरी समानता घटना के लिए चिन्हित घरो से होती है। ये सभी घर सड़क से करीब ही थे अथवा सड़क से लगे हुवे थे। साथ ही वारदातों को अंजाम दिए जाने का वक्त देखे तो वारदात के लिए वह वक्त चुना गया जब लोग गहरी नींद में हों। यही नहीं ज्यादातर वारदातों में मृतक महिलाओं, युवतियों या किशोरियों के कपड़े अस्त-व्यस्त मिले।
इन सभी समानताओ एक बीच इसमें सबसे अहम बात निकल कर जो सामने आई है वह है आला-ए-क़त्ल। इन सही घटनाओं में आला-ए-कत्ल के तौर पर घरेलु इस्तेमाल के औजारों को ही चुना गया है। अमूमन घुमंतू गैंग भी ऐसे ही घटनाओं को अंजाम देता है जहा आला-ए-क़त्ल घरो में इस्तेमाल होने वाले औज़ार ही होते है। वही इस सम्बन्ध में जानकारों का कहना है कि सभी वारदातों में इनती समानताएं महज संयोग नहीं हो सकती। कोई न कोई ऐसा गिरोह जरूर है जो इन सभी वारदातों में शामिल है। पुलिस अफसरों का कहना है कि सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है। एसएसपी अजय कुमार का कहना है कि पूर्व में हुई सामूहिक हत्याकांड की सभी घटनाओं की रिपोर्ट निकलवाई जाएगी। इसका विस्तृत रूप से और पुरी गहराई से अध्ययन किया जाएगा।
थरवई में हुई वारदात के बाद जिला पुलिस की ओर से पूर्व में किए गए खुलासे भी सवालों के घेरे में हैं। दरअसल पिछले साल नवबंर में गोहरी हत्याकांड के 10 दिन पहले ही पुलिस ने घुमंतू गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार करते हुए पांच जघन्य सामूहिक हत्याकांडों का खुलासा किया था। इनमें सोरांव के यूसुफपुर में एक ही परिवार के 5 लोगों की हत्या के साथ ही मांडा, नवाबगंज दोहरा हत्याकांड भी शामिल था। पुलिस का दावा था कि पकड़े गए छेमार गैंग ने ही इन सभी हत्याकांडों को अंजाम दिया। इससे पहले 2020 में भी छेमार गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार करते हुए पुलिस ने होलागढ़ में एक ही परिवार के 4 लोगों की हत्या के खुलासे का दावा किया था। बड़ा सवाल यह है कि अगर खुलासे सही थे तो फिर वारदातों का सिलसिला क्यों नहीं थमा।