प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संपूर्णानगर की स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर चरमराई

डॉ पांडे की सेवानिवृत्त के बाद से चार वर्षों के दौरान एक डॉ आये परन्तु कोई नहीं रुका इस दौरान कभी सप्ताह में तीन दिन डॉ युवी मौर्य तो कभी फार्मासिस्ट के भरोसे रहा केंद्र पर पुनः वैसी ही स्थिति उत्पन्न होती दिख रही है।

फारुख हुसैन

सम्पूर्णानगर-खीरी। सुदृढ़ स्वास्थ्य चिकित्सा व्यवस्था की दृष्टि से पिछड़े इलाका तराई क्षेत्र सम्पूर्णानगर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की चिकित्सा व्यवस्था कई वर्षों से बेपटरी थी जो कि लगभग 10 महीने पहले जुलाई 2021 में एक स्थाई चिकित्सक की नियुक्ति से पटरी पर लौटती दिखाई दे रही थी कि एक उक्त चिकित्सक की सप्ताह में तीन दिन सोम, बुद्ध, शुक्र और तीन दिन मंगल, ब्रहस्पति, शनि को सम्पूर्णानगर में चिकित्सा सेवाएं देने के चलते यहाँ कि चिकित्सा व्यवस्था एक बार फिर पटरी से उतरती दिखाई दे रही है। वहीं अस्पताल में दवाओं की पर्याप्त अनुपलब्धता का खामियाजा जहां मरीज भुगत रहे हैं वहीं विभाग की नाकामी  के चलते भी केंद्र पर तैनात चिकित्सक को भुगतने के आसार बनते दिख रहे हैं जिसका सीधा नुकसान क्षेत्र की  जनता को भुगतना पड़ सकता है।

बताते चलें कि क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सम्पूर्णानगर की चिकित्सा व्यवस्था इन दिनों एक बार फिर बेपटरी हो गई है क्योंकि चार वर्षों के लम्बे अंतराल व काफी जद्दोजहद के बाद कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता के दौरान एक एमबीबीएस चिकित्सक सुनील कुमार के रूप में लगभग छः माह पूर्व स्थाई रूप से मिले। जिससे क्षेत्रवासियों ने खासकर गरीब तबके ने काफी प्रशन्नता व्यक्त की। उन्हें सरकार द्वारा नियुक्त योग्य चिकित्सक की निःशुल्क जाँच एवं परामर्श व अस्पताल की कुछ निःशुल्क व बाजार की कुछ नगद दवा से सस्ता इलाज मिलने लगा तो क्षेत्रवासियों ने स्थानिय विधायक रोमी साहनी व अन्य समाजसेवियों को धन्यवाद देते नहीं थके।

इसी बीच लगभग दो माह से चिकित्सक सुनील कुमार को दो केंद्रों की जिम्मेदारी दे दी गई जहां तीन दिन सम्पूर्णानगर तो वहीं तीन दिन चन्दन चौकी केंद्र पर सेवाएं देने के कारणों के चलते सम्पूर्णानगर केंद्र की चिकित्सा व्यवस्था एकबार फिर बेपटरी होती दिख रही। शुक्र की बात यह है कि 20 वर्ष से खाली पड़ी महिला केंद्र की महिला चिकित्सक की कुर्सी पर डॉ रश्मि श्रीवास्तव अपनी जिम्मेदारी पिछले कुछ माह से सम्भाल रही थीं जो एक महीने की छुट्टी के बाद चन्द रोज पहले वापिस लौटीं हैं।

चार वर्षों बाद बमुश्किल कोई चिकित्सक ने स्थाई तैनाती ली परन्तु विभाग द्वारा केंद्र पर पर्याप्त दवा उपलब्ध न कराने के चलते उन्हें बाहर से दवा लिखनी पड़ती है। कस्बे की एक संस्था ने चिकित्सक पर महँगी एवं कोड में दवा लिखने  का आरोप लगाकर, मरीजों के शोषण का हवाला देकर चिकित्सक को हटाए जाने की मांग क्षेत्रीय विधायक एवं स्वास्थ्य मंत्री उत्तर प्रदेश से की है। ऐसे में यदि वर्तमान चिकित्सक का तबादला होने के साथ उनके स्थान पर नए चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हुई तो क्षेत्र एवं केंद्र की चिकित्सा व्यवस्था एक बार फिर बेपटरी हो जाएगी जिसका खामियाजा क्षेत्र की खासकर गरीब जनता को उठाना पड़ेगा।

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