मणिपुर में भाजपा की सहयोगी पार्टी एनपीऍफ़ को नागालैंड में ज़ोरदार सियासी झटका, एक साथ 21 विधायको ने बदला पार्टी और शामिल हुवे सत्तारूढ़ एनडीपीपी में

तारिक़ खान

कोहिमा: नागालैंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव हेतु दो दिन पहले ही मणिपुर में भाजपा की सहयोगी पार्टी एनपीएफ अध्यक्ष ने पत्रकारों से कहा था कि उनकी पार्टी राज्य में अकेले चुनाव लड़ेगी। मणिपुर में भाजपा की सहयोगी पार्टी को नागालैंड में एक ज़ोरदार झटका लगा है जब उसके पार्टी के 21 विधायको ने एक साथ पार्टी छोड़ सत्तारूढ़ दल एनडीपीपी में शामिल हो गये है। बताते चले कि पांच विधायकों वाली एनपीएफ पड़ोसी राज्य मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की सहयोगी है। बीरेन सिंह के नेतृत्व वाले 12 सदस्यीय मंत्रिपरिषद में पार्टी के दो मंत्री भी हैं।

नागालैंड में एक अहम सियासी घटनाक्रम है। नागा पीपुल्स फ्रंट यानि एनपीऍफ़ के पास नागालैंड में कुल 25 विधायक थे। इस घटनाक्रम के बाद अब सदन में उसके महज़ 4 विधायक बचे है। मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी यानी एनडीपीऍफ़ में इन विधायको के शामिल होने के बाद 60 सदस्यीय विधानसभा में अब 42 विधायक हैं।

विधानसभा में एनपीएफ के पास अब चार विधायक हैं जबकि भाजपा के पास 12 और दो निर्दलीय विधायक हैं। नागालैंड विधानसभा अध्यक्ष शरिंगेन लॉन्गकुमार ने एक आदेश में कहा कि उन्हें एनपीएफ विधायक दल के 21 सदस्यों के एनडीपीपी में विलय का दावा प्राप्त हुआ है। उन्‍होंने एनपीएफ विधायकों के पार्टी बदलने के फैसले को स्वीकार कर लिया है।

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