वाराणसी पुलिस कमिश्नर @SatishBharadwaj की कैंट पुलिस द्वारा अवैध हिरासत का नया मामला, पीड़ित परिवार का आरोप, तीन दिन से दो युवको को रखा है कैंट पुलिस ने अवैध हिरासत में

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। वाराणसी पुलिस कमिश्नर @SatishBharadwaj अपनी पुलिस की छवि सुधारने के लिए दिन रात एक किये हुवे है। खुद पुलिस कमिश्नर सतीश भारद्वाज पुलिस की छवि सुधारने के लिए 18 घंटे मेहनत करते है। मगर उनके अधिनस्त है कि खुद की कार्यशैली बदलने का नाम ही नही ले रहे है। अभी लालपुर पांडेयपुर पुलिस द्वारा अवैध हिरासत का मामला ठंडा भी नही हुआ था कि एक और मामले में कैंट पुलिस ने अवैध हिरासत में रखने का रिकार्ड बना दिया है। कैंट पुलिस पर इस बार आरोप है कि तीन दिन से वह दो युवको को अवैध हिरासत में रखे हुवे है। युवको पर आरोप मोबाइल चोरी/’छिनैती का है।

पीड़ित परिवार के अनुसार आदमपुर थाना क्षेत्र के एक मोहल्ले के रहने वाले दो दोस्त रिजवान और इरफ़ान को बुद्धवार (13 अप्रैल 2022) को शाम लगभग 6 बजे कैंट पुलिस ने कज्जाकपूरा इलाके से उठाया था। दोनों युवको पर आरोप है कि उन्होंने किसी का मोबाइल चुराया है। बताया गया कि मामले में खुद कैंट इस्पेक्टर विवेचना कर रहे है। मिली जानकारी के अनुसार ये गिरफ़्तारी क्राइम ब्रांच सिपाही मनीष सिंह और सचिन मिश्रा ने किया था। पीड़ित परिवार ने बताया कि बुद्धवार को गिरफ़्तारी करने के समय दोनों सिपाहियों ने उनसे कैंट थाने आने को कहा। जब हम कैंट थाने गए तो हमको बताया गया कि दोनों युवको ने मोबाइल चुराया है, अगर मोबाइल मिल जायेगा तो हम इन दोनों को छोड़ देंगे।

इरफ़ान की बहन ने आरोप लगाते हुवे बताया कि हमने मोबाइल तलाश करके कैंट पुलिस को बृहस्पतिवार की सुबह प्रदान कर दिया। जिसके बाद से अभी दोपहर और शाम करते हुवे कैंट के क्राइम ब्रांच सिपाही सचिन मिश्रा और लखन सिंह हम लोगो को सिर्फ यही कहते है कि लडको को पहली गलती होने के कारण छोड़ देंगे। उन्हें हिदायत देकर। मगर आज तीसरा दिन है हमारे भाई को पुलिस न छोड़ रही है और न कोई वैधानिक कार्यवाही कर रही है। इरफ़ान की बहन का कहना है कि अगर हमारे भाई ने कोई अपराध किया है तो उसकी सज़ा अदालत मुक़र्रर करेगी। उसको आज तीसरा दिन है, लगता है पोली केवल उसको और उसके दोस्त रिजवान को इस लिए अवैध हिरासत में रखे है कि झूठे मामलो में भी उनको फंसाया जा सके।

क्या कहते है ज़िम्मेदार?

हमने इस सम्बन्ध में जब कैंट इस्पेक्टर से फोन पर बात किया तो काफी प्रयास के बाद उनका सीयुजी नम्बर उठा। यहाँ यह ध्यान दिलाता चलू कि कैंट इस्पेक्टर साहब शायद पहचाना हुआ नम्बर ही उठाते है। फोन पर उन्होंने किसी को हिरासत में लिए जाने से इंकार कर दिया और कहा ऐसी कोई बात नही है। वही एसीपी कैंट लखन सिंह ने प्रकरण संज्ञान में न होने की बात कहकर मामले की जाँच की बात कही है।

बुद्धवार से कैंट थाने के मुन्शियाने में बैठे है दोनों युवक

हमने इस मामले की सत्यता देखने का प्रयास किया तो हमको कैंट थाने के मुन्शियाने में बैठे दोनों कथित अभियुक्त मिल गए। उनमे से एक अभियुक्त ने खुद को खाना न मिलने की बात हमसे किया। पुलिस सूत्रों की माने तो क्राइम ब्रांच के सिपाही और इस्पेक्टर कैंट ने बुद्धवार से इन दोनों युवको को ऐसे ही मुन्शियाने में बैठाया हुआ है और अभी तक दाखिल नही किया है। सत्यता की पुष्टि अधिकारी थाने के सीसीटीवी फुटेज से कर सकते है।

क्या कहता है नियम

वैसे तो घटना ये बताती है कि कैंट थाने के लिए नियम कानून कोई मायने नही रखता है। मगर संविधान के अनुच्छेद 21 में गिरफ़्तारी के सम्बन्ध में गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकारों का वर्णन है। सुप्रीम कोर्ट ने केसी बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य सरकार वर्ष 1997 और जोगिन्दर कुमार बनाम उत्तर प्रदेश सरकार वर्ष 1994 के केस में अदालत के निर्देश पर द0प्र0स0 1973 के धारा 41 में संशोधन किया गया। इसके तहत स्पष्ट निर्देश है कि गिरफ्तार अभियुक्त को अधिकतम 24 घंटे के अन्दर अदालत के समक्ष प्रसुत करना होता है। मगर ये नियम शायद कैंट पुलिस अपने हिसाब से लागू करती है और तीन तीन दिनों तक थाने पर ही अवैध हिरासत में अभियुक्तों को रखती है।

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