ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण: अदालत में सील बंद पेश होने के कुछ घंटो के बाद ही सार्वजनिक हुई सर्वे रिपोर्ट, उठे गोपनीयता पर प्रश्न, जाने सार्वजनिक हुई कथित रिपोर्ट में क्या कुछ है और अनसुलझे सवाल
शाहीन बनारसी
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे के दरमियान एक सवाल काफी उठा है कि क्या यह सर्वे 1991 वरशिप एक्ट का उलंघन है। आज भी इस सवाल का जवाब अनुतरित है और जहा एक तरफ वादी मुकदमा का कहना है कि मस्जिद के हौज़ (तालाब) में शिवलिंग मिला है। वही मस्जिद कमिटी का दावा है कि पानी में लगे फव्वारे को वह भ्रम फ़ैलाने के उद्देश्य से शिवलिंग कह रहे है।
इन सबके सवाल का जवाब आज भी अनुतरित है। मगर इस बीच आज सर्वे कर्मिश्नर विशाल सिंह ने अपनी रिपोर्ट अदालत में सील बंद लिफाफे में प्रेषित कर दिया। इस रिपोर्ट के प्रेषित करने के कुछ ही घंटो बाद रिपोर्ट सार्वजनिक हो जाने का दावा किया जा रहा है। इस दरमियान कई अन्य सवाल सर्वे रिपोर्ट के सार्वजनिक होने पर उठने शुरू हो गए है।
सीलबंद लिफाफे में जमा की गई रिपोर्ट की एक कॉपी याचिकाकर्ताओं के वकीलों की ओर से साझा की गई है और यह याचिकाकर्ताओं के मस्जिद में हिंदू मूर्तियों की मौजूदगी के सबूत के दावों का समर्थन करती प्रतीत होती है। PNN24 न्यूज़ व्यक्तिगत रूप से रिपोर्ट की सत्यता की पुष्टि नहीं करता। मगर सूत्र बताते हैं, ‘रिपोर्ट कहती है कि मस्जिद के बेसमेंट के खंभों में फूल की नक्काशी और एक कलश है। रिपोर्ट में इसका ज़िक्र है कि तहखाने के एक खंभे पर प्राचीन हिंदी भाषा में नक्काशी पाई गई थी। सार्वजनिक होने वाली रिपोर्ट में है कि तहखाने की एक दीवार पर ‘त्रिशूल’ का चिह्न पाया गया है। साथ ही मस्जिद की पश्चिमी दीवार से दो बड़े स्तंभ और एक मेहराब निकला हुआ है।
याचिकाकर्ताओं ने इन्हें मंदिर का अवशेष बताया जबकि मस्जिद कमेटी ने इसका विरोध किया। मस्जिद कें केंद्रीय गुंबद के नीचे एक शंक्वाकार संरचना यानी कोनिकल स्ट्रक्चर मिली है। मस्जिद के तीसरे गुंबद के नीचे के पत्थर पर कमल की नक्काशी की बात रिपोर्ट में होने की जानकारी सूत्र दे रहे है। सबसे अधिक जिस बात पर जोर देकर लोग जानकारी हासिल कर रहे है वह यह है कि वुज़ू के लिए उपयोग किए जाने वाले तालाब में 2।5 फीट ऊंची गोल संरचना देखी गई। जहां याचिकाकर्ताओं ने इसे शिवलिंग बताया, वही मस्जिद कमेटी ने कहा कि यह एक फव्वारा था।
मस्जिद कमेटी के अधिवक्ताओं और अंजुमन मसाजिद इन्तेज़मियां कमिटी के जॉइंट सेक्रेटरी एस0 एम0 यासीन से बात करने की कोशिश किया। अधिवक्ता मोहम्मद तौहीद ने सिर्फ इतना कहा कि अभी रिपोर्ट का अध्यन चालु है और हम किसी भी तरीके का अभी बयान नही दे सकते है। रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल है और इसकी कोई भी नक़ल ले सकता है। शायद इसी तरीके से रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई होगी। वही एस0 एम0 यासीन का कहना है कि यह हैरतअंगेज है कि संवेदनशील प्रकृति की रिपोर्ट्स को कोर्ट की ओर से कोई राय देने के पहले ही शेयर किया जा रहा है। इस सबके बीच यह मूल प्रश्न अनुत्तरित है कि क्या यह सर्वे, पूजास्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन करता है।
मामले में अदालत 23 मई को सुनवाई करेगी। कल शुक्रवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट इलाहाबाद भी सुनवाई करेगी। पिछले सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने बताया था कि “आल मोस्ट बहस पूरी हो चुकी है।” इस हिसाब से देखा जाए तो हाई कोर्ट से भी कल कोई बड़ी खबर आ सकती है। जबकि सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दरमियान हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने अदालत से इस बात पर मोहलत मांगी थी कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन को अटैक आया है और वह अदालत में उपस्थित नही हो सकते है। इस पर मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता हुजैफा अहमदी ने आपत्ति करते हुवे कहा था कि वाराणसी न्यायालय इस मामले में सुनवाई आज कर रहा है जो कोई भी आदेश दे सकता है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की अदालत को कल तक कोई फैसला देने से मना कर दिया था।