डा0 राजेन्द्र फुले ने एकल नुक्कड़ नाटक के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि रंग, कपड़े, बोली व भाषा को निशाना बनाना खतरनाक
शाहीन बनारसी
वाराणसी। देश के मौजूदा दौर में जिस तरह रंग, कपड़े,बोली और भाषा को लेकर जिस तरह लोगों को निशाना बनाया जा रहा है यह बेहद खतरनाक है। हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि नफरत फैलाने वालों का दिल मुहब्बत के पैगाम से जीते। एक न एक दिन यह प्रयास रंग लाएगा और हम समावेशी समाज व सतरंगी दुनिया बनाने में कामयाब होंगे। नवसाधना स्थित नव साधना कला केंद्र में आयोजित ‘प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण’ कार्यक्रम में दूसरे दिन देश के विभिन्न राज्यों से आये प्रतिभागियों राष्ट्रीय एकता, शांति और न्याय विषय पर अपने विचार व्यक्त करने के दरमियान इस बात पर ख़ास जोर दिया।।
इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट, सेन्टर फार हार्मोनी एंड पीस और राइज एंड एक्ट के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में महाराष्ट्र से आये डा0 राजेन्द्र फुले ने एकल नुक्कड़ नाटक के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि ये एक ऐसा माध्यम है जो सबसे कम खर्च पर समाज को जोड़ने का काम करता है।नफरत फैलाने वाले समाज को भी सभ्य समाज में बदल सकता है। जो काम लम्बे भाषण से नहीं हो सकता है वह नुक्कड़ नाटक के दो मिनट के संवाद से हो सकता है।
असम से आये वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद रबिऊल हक ने अपने राज्य में चल रही सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश का म्यूजियम कहे जाने वाले इस राज्य में आजकल राजनीतिक हलचल तेज है।समाज के एक तबके का पसीना बहाने का काम हो रहा है। पहले सीएए फिर डी वोटर्स का मुद्दा था। फिर एजेंडा बदला मदरसों को निशाने पर लिया गया और अब सरकारी जमीन पट्टे पर लेकर रहने वाले समाज का दबा कुचला समाज निशाने पर है। वहां भी बुलडोजर की इंट्री हो गयी है और ऐसे लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।
लखनऊ हाईकोर्ट की अधिवक्ता शीतल शर्मा ने महिलाओं के अधिकार और कानूनी मुद्दों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के हित में कानून तो बेहद कठोर बने हैं। पर इस दौरान देखने में यह आ रहा है कि फर्जी केस की संख्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई कानूनों में नये वर्डिक्ट दिये हैं। जिससे महिलाओं की मजबूती के लिए बने कानून कमजोर हुए है।मसलन दहेज उत्पीड़न के मामले में अब गिरफ्तारी नहीं हो सकती। मेंटेनेंस के मामले में यदि महिला स्नातक है तो उसे गुजारा भत्ता एक साल ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं को इन सवालों को लेकर सोचने की आवश्यकता है।क्योंकि कुछ महिलाओं के उठाए गये ऐसे कदम से सचमुच में पीड़ित महिला इंसाफ से वंचित हो जाएगी।
कार्यक्रम के अन्त में डा0 राजेन्द्र फुले, सैयद रबीऊल हक और एड0 शीतल शर्मा को अशोक स्तम्भ का स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में ओडिशा, उत्तराखंड, बिहार, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों से आये प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन आयोजक डॉ0 मुहम्मद आरिफ ने किया।