कलंकित ममता: माँ ने अपने तीन मासूम बच्चो की चाय में ज़हर देकर लिया जान
शहनवाज़ अहमद
गाजीपुर: माँ की ममता और उसकी मुहब्बत दुनिया में एक नजीर कायम करती है मगर इसी दुनिया में ऐसी भी कुछ ममता है जो अपने ही बच्चो की जान की दुश्मन बन जाती है। इसका जीता जागता एक उदाहरण गाजीपुर जनपद के थाना इलाके के ढढनी भानमल राय गांव में देखने को मिला है जहाँ पर माँ ने अपने ही तीन मासूम बच्चो की चाय में ज़हर देकर जान ले लिया। बताते चले कि पारिवारिक कलह में सोमवार सुबह मायके आई महिला ने अपने तीन बच्चों को चाय में जहर मिलाकर मार डाला। बच्चों के चाचा की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर महिला को गिरफ्तार कर लिया।
रेवतीपुर थाना क्षेत्र के साईत बांध निवासी सुनीता देवी अपने तीन पुत्रों बब्बी उर्फ हिमांशु (11), प्रियांशु उर्फ पीयूष (8), शेरू (3) और एक पुत्री दिव्यांशु (7) के साथ रक्षाबंधन के दिन मायके ढढनी भानमल राय गांव आई हुई थी। करीब दो दिन पूर्व उसकी मोबाइल पर पति बालेश्वर यादव और देवर से किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई थी, जिससे वह काफी नाराज थी। जिससे उसने दोनों पुत्रों बब्बी उर्फ हिमांशु व प्रियांशु और पुत्री दिव्यांशु को चाय में जहर मिलाकर दे दिया। तीनों मासूम की हालत गंभीर होने पर मायके के लोग उन्हें उपचार के लिए निजी चिकित्सक के पास ले गए। हालत गंभीर देख डॉक्टर ने उनको जिला अस्पताल भेज दिया।
इलाज के दौरान प्रियांशु उर्फ पीयूष की मौत हो गई। जबकि बड़े पुत्र बब्बू उर्फ हिमांशु और पुत्री दिव्यांशु की हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने बीएचयू रेफर कर दिया। वहां दोनों बच्चों की मौत हो गई। घटना के दौरान शेरू अपनी नानी अकाली देवी के साथ गांव में किसी के घर गया था, जिससे उसकी जान बच गई। विपदा में बच्चों के लिए ढाल बनने वाली मां आखिर कितनी नाराज थी जिसने अपने ही हाथों से अपने तीन बच्चों को जहर पिला दिया। यह तो संयोग ही रहा कि तीन वर्षीय मासूम शेरू अपनी नानी के साथ गांव में कहीं गया था, जिससे वह बाल-बाल बच गया।
आरोपी महिला को ससुराल और मायके के गांव के लोग कोसते नजर आए। इधर मंगलवार को बदहवास अवस्था में गुड़गांव से साईत बांध गांव पहुंचा बच्चों का पिता बालेश्वर यादव अपनों को देख कर फफक कर रो पड़ा। तीनों बच्चों के शव देख लोगों का कलेजा फटा जा रहा था। घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। गुड़गांव की एक फैक्ट्री में काम कर परिवार का जीविकापार्जन करने वाले बालेश्वर यादव को घटना की जानकारी होते ही वह गांव के लिए रवाना हो गया। स्थिति ऐसी थी कि वह चलने लायक भी नहीं था। गांव के लोग सहारा देकर किसी तरह घर ले गए। उसने बताया कि बाहर रहते हुए भी वह अपने परिवार को पूरा पैसा भेज देता था।
फोन पर हुई बात पर पत्नी सुनीता द्वारा खर्च की अधिक मांग करने पर मैंने असमर्थता की बात कही थी। ग्रामीणों ने बताया कि घर की स्थिति ठीक नहीं है। बालेश्वर यादव का छोटा भाई घर में ही एक किराने की दुकान चलाता है। दोनों भाइयों का परिवार संयुक्त है। जर्जर मकान में ही दोनों का परिवार रहता है। आसपास के लोगों का कहना है कि आरोपी महिला शुरू से ही झगड़ालू प्रवृत्ति की रही है। घटना के बाद दूसरे दिन भी ढढनी भानमल राय और साईत बांध में सिर्फ परिजनों के चीत्कार ही सुनाई दे रही थी। गांव के कई घरों के चूल्हे नहीं जले, लोग कठोर मां को कोसते नजर आ रहे थे। गांव की ओर जाने वाले प्रमुख मार्ग और गलियों पर सन्नाटा पसरा था।