टेरर लिंक के आरोपो पर केंद्र ने किया पीएफआई को UAPA एक्ट के तहत 5 साल के लिये बैन
तारिक़ खान
डेस्क: देश भर में चल रहे छापो के दरमियान केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर पीएफआई यानी पापुलर फ्रंट आफ इंडिया को यूएपीए के तहत 5 साल के लिये प्रतिबंधित कर दिया है। बताते चले छापेमारी में अब तक PFI के कुल 240 से अधिक नेताओं और पदाधिकारियों की गिरफ्तारी हुई है।
केंद्र ने कल शाम संगठन पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों या मोर्चों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत तत्काल प्रभाव से “गैरकानूनी संघ” घोषित किया गया है।
स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी), जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के साथ संबंधों का हवाला देते हुए सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया है। ऑल इंडिया इमाम काउंसिल समेत 8 दूसरे संगठनों पर भी कार्रवाई की गई है। अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआई और उसके सहयोगी गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं, जो “देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए हानिकारक” हैं, और उनके पास सार्वजनिक शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की क्षमता है।
अधिसूचना में आगे कहा गया कि पीएफआई और उसके सहयोगी खुले तौर पर एक सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक और राजनीतिक संगठन के रूप में काम करते हैं, लेकिन वे समाज के एक विशेष वर्ग को कट्टरपंथी बनाने के लिए एक गुप्त एजेंडा का पीछा कर रहे हैं।
बता दें कि 17 फ़रवरी, 2007 को पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया का गठन दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों के विलय से बना। पीएफआई का दावा है कि वह 23 राज्यों में सक्रिय है। सिमी पर प्रतिबंध के बाद पीएफआई का तेज़ी से विस्तार कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों हुआ।