तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ: वाराणसी नगर निगम के साहब, एक महीना से दालमंडी के CK 41/24 के सामने सीवर का ढक्कन टुटा है, केहू भुडूक से गिर सकता है, तनिक बनवा दे
तारिक़ आज़मी
वाराणसी: हम बार बार कहते है कि स्मार्ट सिटी वाराणसी का नगर निगम सुपर स्मार्ट है। मगर हमारे काका है कि माने को तैयार ही नही रहते है। उनका तो जब देखो खाली कमी दिखाई देती है। उनसे हम कहते है कि काका जब सिटी स्मार्ट है तो नगर निगम भी तो सुपर समार्ट होगा। मगर काका कह उठते है कि बन्दर बहुते हो गए है। स्मार्ट नही स्मार्ट से दुई तल्ला ऊपर का सुपर स्मार्ट है नगर निगम।
आज सुबहिया ही काका एकदम्मे फईल गए और कहने लगे कि चलो तुमको स्मार्ट सिटी का स्मार्ट नगर निगम दिखाते है। लेकर पहुच गए हमको दालमंडी। सुबह सुबह के टाइम दालमंडी की कभी रौनक नही रही तो आज का रहती। मिया मुनक्का की पेचीदा दलीलों जैसे गलियों से गुज़रते हुवे पत्थरगलिय स्थित अपने एक मित्र के दरवाज़े पर ले कर पहुच गए। मकान नम्बर था सीके 41/24। बबलू के बाऊ साव जी काका के पुराने मित्र रहे है। काका शायद आज सुबह मिलने उनसे आये रहे तो ऊपर देख के चलने की आदत में लंगड़ी खा बैठे होने ई टूटे हुवे सीवर के ढक्कन से।
अब ढक्कन सीवर का टुटा हुआ है और सुबह सुबह शामत हमारी आ गई। साव जी ने ढक्कन के बारे में बताया कि एक महीने से ऊपर हो चूका है। बार बार इसके सम्बन्ध में स्थानीय नगर निगम कर्मियों से कहा जाता है। मगर कोई ध्यान नही दे रहा है। कभी भी इस टूटे हुवे सीवर के ढक्कन से कोई घटना दुर्घटना हो सकती है। सीवर के टूटे ढक्कन के कारण आसपास बदबू भी रहती है। खुद ही आप देख सकते है कि सीवर से निकली हुई सिल्ट तक नही उठी है। क्या हाल होगी आप समझ सकते है।
अब बात तो ठीक ही है साव जी की कि सीवर का टुटा ढक्कन दिक्कत तो कर सकता है। मगर का बताये कि जो काका कहते है वह गलत तो कहते नही है कि “बतिया है कर्तुतिया नाही।” हम तो बतिया सकते है खाली तो बतिया लिया कि “नगर निगम के ज़िम्मेदार साहब लोग, ई ढक्कन एक महिना से टुटा है तनिक बनवा दे सीवर का ढक्कन।” अब रही काम की बात तो काम करवाना या न करवाना साहब लोग के हाथ में है। कमरे पास तो केवल बतिया है। तो साहब तनिक सीवर का ढक्कन बदलवा दे, ऊ का है कि इलाके की जनता लोग आपको धन्यवाद देगी। तनिक भावनाओं को समझे साहब।