हर छोटा काम बड़े महत्व का होता है : डा. वसंतविजय
ईदुल अमीन/ अजीत शर्मा
वाराणसी। हम जिन्हें निम्न मानते हैं, शरीर के जिन अंगों को हम कम महत्व देते हैं वास्तव में वही सबसे महत्वपूर्ण हैं। हर छोटा काम बड़े महत्व का होता है। एक दिन पंडितजी नहीं आए, पूजा नहीं हुई तो चलेगा लेकिन एक दिन शहर में सफाई नहीं होगी तो नहीं चलेगा।
ये बातें श्रीकृष्णगिरी शक्तिपीठाधीपति डा. वसंतविजयजी महाराज ने काशी कोतवाल भैरव उत्सव के दूसरे दिन प्रवचन सत्र में कहीं। नरिया स्थित रामनाथ चौधरी लॉन में हो रहे आयोजन में गुरुवार को उन्होंने कहा कि मलविसर्जन को हम लोग बहुत निम्न कार्य समझते हैं लेकिन मलविसर्जन नहीं होगा तो यह शरीर, जिसमें तुम अमृत भर सकते हो, विष से परिपूर्ण हो जाएगा। पूज्य महाराजश्री ने कहा कि हमारे बोलने सोचने का बहुत प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। यदि हम रोज सुबह उठ कर कहना शुरू करें कि मेरे हाथ की लकीरें शुभ हो रही हैं। ऐसा 48 दिन लगातार करके देखो, हाथ की लकीरों में सकारात्मक परिवर्तन होने लगेगा। ऐसा बहुत से लोगों के साथ हुआ है। जिन जिन लोगों के साथ हुआ है उन सभी ने चित्र के साथ प्रमाण मेरे पास भेजे हैं।
अब तो बात और आगे निकल गई
नारी द्वारा पुरुष का पैर दबाना, नारी की गुलामी का प्रतीक नहीं बल्कि घर-गृहस्ती की समृद्धि का सहज मार्ग है। इस सनातनी सत्य का इतना दुष्प्रचार किया गया कि नारी द्वारा पुरुष के पैर दबाना गुलामी समझा जाने लगा है। अब तो बात उससे भी आगे निकल गई है। पति ही पत्नी के पैर दबाता है। सत्य तो यह है कि पुरुष के घुटने के नीचे का हिस्सा वह स्थान है जहां से शनि की तरंगे शरीर में प्रवेश करती हैं। नारी के हाथ की हथेलियों में शुक्र का वास है। जब नारी, पुरुष के पैर दबाती है तो शुक्र और शनि की तरंगों के बीच चुंबकीय दबाव बनता है। इस दबाव से उत्पन्न ऊर्जा जीवन में धनकारक योग बनाती है।
उन्होंने कहा कि सृष्टि में जितने भी प्राणी हैं सभी के शरीर में चार पंखुड़ियों वाले कमल से सहस्रदल कमल तक है। मनुष्य सीधे चलता है इसलिए ये कमल खुले हुए हैं। झुक कर या रेंग कर चलने प्राणियों में यह कमल बंद होता है। खुला हुआ कमल मिला है तो इसे ब्रह्मांड की सकारात्मक ऊर्जा से नित्य सुरभित रखने के लिए भैरव की शरण में आओ। विश्वनाथ, पार्श्वनाथ की शरण में आओ। जिसमें तुम्हारी आस्था हो उस उसकी शरण में जाओ। शरणागत होगे तभी कृपा बरसेगी। तुम्हारे मस्तिष्क में प्रतिष्ठित सहस्रदल कमल खिलने लगेगा। मूलाधार में विद्यमान चार पंखुड़ी वाला कमल भी खिला खिला रहेगा।
महाराजश्री ने कहा कि संत के भविष्य और भाग्य नहीं बताता। संत भक्ति का मार्ग बताता है। संत जब भक्ति का मार्ग बताता है तो वास्तव में वह मनुष्य शरीर को ब्रह्मांड से आ रही ऊर्जा को ग्रहण करने के योग्य बनाने का मार्ग दिखाता है। मनुष्य को उसके शरीर की शक्ति पता ही नहीं है। जिसने इस शक्ति को पहचान लिया परमात्मा हो गया। वह शिव हो गया। कथा मंडप में अष्टभैरव की विशाल मूर्तियों की प्रतिष्ठा गुरुवार को की गई। मुख्य मंच पर भैरव अपनी पत्नी भैरवी के साथ विराजमान हैं तो उनके निकट बटुक भैरव खड़े हैं। वहीं कथा पंडाल में दिशा के अनुसार अष्ट भैरव विराजमान किए गए हैं। इनमें असितांग भैरव, चंड भैरव, रुरु भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाल भैरव, भीषण भैरव और संहार भैरव शामिल हैं।