जाने कब है काल भैरव जयंती, कैसे करे पूजा अर्चना जिससे बाबा काल भैरव की बनी रहे आप पर कृपा
बापू नंदन मिश्र
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप हैं। इस चलते मार्गशीर्ष मास के कृष्ण की अष्टमी तिथि काल भैरव जयंती के रूप में मनाई जाती है। भक्त इस दिन बाबा भैरव के लिए व्रत भी रखते हैं व पूजा-आराधना में लीन रहते हैं। माना जाता है कि काल भैरव प्रसन्न होने पर भक्तों को जीवन में सुख-समृद्धि का वर देते हैं और उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
आने वाले 16 नवंबर के दिन काल भैरव जयंती मनाई जाएगी। जानिए इस दिन किस तरह की जाती है भैरव बाबा की पूजा-आराधना। इस बार बाबा काल भैरव जयंती पर पूजा का शुभ महुर्त 16 नवबंर सुबह 5 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 17 नवंबर सुबह 7 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। व्रत रखने वाले भक्त खासतौर से कुछ बातों को ध्यान में रखकर बाबा भैरव की कृपा पा सकते हैं।
- सुबह-सवेरे स्नान पश्चात् काल भैरव के लिए व्रत का संकल्प लिया जाता है और दिन की शुरूआत की जाती है। हालांकि, भगवान काल भैरव की पूजा रात के समय होती है लेकिन व्रत सुबह से ही प्रारंभ हो जाता है।
- रात की पूजा से पहले ही काल भैरव मंदिर की साफ-सफाई कर ली जाती है। घर में भी काल भैरव की प्रतिमा को पूजा जा सकता है।
- सबसे पहले पूजा में चौमुखी दीपक जलाने की मान्यता है।
- काल भैरव पूजा में पुष्प, धूप और दीप को सम्मिलित किया जाता है।
- भैरव बाबा को भोग में इमरती, जलेबी, पान, नारियल और उड़द की दाल चढ़ाई जाती है।
- पूजा के समय ही काल भैरव चालीसा का पाठ और आरती की जाती है।
- भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ते को माना जाता है जिस चलते इस दिन कुत्ते को भोजन करवाना अच्छा मानते हैं।
(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। PNN24 न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है।)