अरे वाह…..! मुख्य अभियंता नगर निगम ने लिया तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ का संज्ञान, कार्यदाई संस्था की लगी क्लास तो रातो रात बनी पितरकुंडा की सड़क, जनता बोली “थैंक यु नगर निगम”

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: हम तो पाहिले सोचते रहे कि हमरे काका ठीके कहते होंगे कि “बतिया है करतुतिया नाही।” मगर नगर निगम ने हमारी “मोरबतियाँ” का संज्ञान लिया। हमारी चुभती बातो पर नगर निगम के अधिशाषी अभियंता ने भी गौर तलब किया और कार्यदाई संस्था की क्लास ऐसा लगी कि रातो रात पितरकुंडा तिराहे की सड़क मजबूती के साथ निर्मित हुई। वैसे तो अपनी जयकारा कहने वालो की कमी किसी मोहल्ले में नही होती है तो ई मुहल्ला काहे किसी से पीछे रहे। चुनावी सरगर्मियों के बीच सियासत के पहरेदार इस सफलता पर अपनी पीठ खुदही ठोके पड़े है कि “जिया रज़ा बनारस।”

गौरतलब हो कि र्रविवार की रात पितरकुंडा तिराहे की जर्जर सड़क की मरम्मत हुई थी। रात 3 बजे तक चले इस निर्माण के बाद सुबह हुई और हमारे एक सुधि पाठक ने हमको सड़क का वीडियो भेजा। सड़क मरम्मत के नाम पर हुई खानापूर्ति का क्या आलम रहा होगा कि सड़क पर जो कंक्रीट बिछाई गई थी वह पैर से ही ऐसे हिचकोले खा रही थी कि जैसे लग रहा था बालू का ढेर है अथवा कंक्रीट को तारकोल से नही बल्कि गोंद से चिपका दिया गया है और अब गोंद सुख कर गई तो कंक्रीट उखड गई।

तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ: हम अईसही नही कहते है कि स्मार्ट सिटी वाराणसी का सुपर स्मार्ट है नगर निगम, देख ले वीडियो और फोटो, बनाया “इत्ती मजबूत सड़क” कि पुरे 12 घंटा चली…!

इस सम्बन्ध में हमारे द्वारा मंगलवार की सुबह इस सम्बन्ध में समाचार प्रकाशित किया गया और वीडियो भी प्रदर्शित किया गया कि आखिर कितनी मजबूत सड़क बनी जो पुरे 12 घंटे चली। हमारे समाचार में हमारी कलम के नोक का नुख्ता थोडा चुभता हुआ था और नगर निगम के मुख्य अभियंता ने हमारे समाचार का संज्ञान लिया और स्थानीय अधिकारियो को इसके निस्तारण हेतु निर्देशित किया। जिसके बाद कार्यदाई संस्था की भी क्लास लगी और रातो रात इस सड़क का निर्माण पूरी पुख्तगी के साथ हुआ। क्षेत्र की जनता ने जहा नगर निगम वाराणसी को थैंक यु कहा वही हमारे सुधि पाठक ने नगर निगम के अधिकारियो सहित हमको भी थैंक यु कहा।

क्षेत्र के सियासती लोग ठोके पड़े है खुदही की पीठ

इस मामले में सबसे मजेदार बात जो निकल कर सामने आई वह बड़ी ही मजेदार है। स्थानीय निकाय चुनाव सर पर है तो इलाके के क्षेत्रीय सियासत का पहाड़ा गिनने वाले खुदही की पीठ खुदही ठोकते हुवे दिखाई दिया। एक सज्जन तो ऐसे निकले कि चाय पान की दुकान पर उन्होंने सबको रोक रोक कर बताया कि “हमने वो कद्दू में तीर मारा कि सीधे कद्दू कोढा बन गया।” वैसे ये सब कोई नई बात नही है। हर इलाके में फ्री की वाहवाही लुटने वालो की कमी नही होती है। बकिया सब ठीक है। आज हमारे काका की बात “बतिया है करतुतिया नाही” हमको नए रूप में समझ में आ गई है। तो हम अपने काका को ही थैंक-यु कह देते है।

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