कमाल की कारीगरी: इस सरकारी अस्पताल की इमारत बनाने वाले इंजिनियर के आप हाथ चूम लेगे..!, बिना सीढियों के बना डाला दो मंजिल का सरकारी अस्पताल, 9 साल बाद भी है सब परेशान कि दूसरी मंजिल पर जाए तो जाए कैसे ?
फारुख हुसैन
लखीमपुर-खीरी। कभी एक शेर सुना था। सरकार किसी की हो, सरकार पर हमारा शेर तंज़ नही है बल्कि कागजों पर घोड़े दौड़ाने वालो पर हमारा ये तंज़ है जिसको कहने में हम कोई हर्ज नही समझते है। कागज़ी घोड़े दौड़ाने वाले लोगो के लिए शेर है कि “तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है….! मगर ये आँकड़ें झूठे हैं ये दावा किताबी है….!!” ऐसे ही किताबी दावो की बानगी आपको दिखायेगे एक ऐसे सरकारी अस्पताल की जहा पर आज लगभग 9 साल गुज़र जाने के बाद भी इलाके के लोग परेशान है कि इसकी दूसरी मंजिल पर जाए तो जाए कैसे।
वो तो भला हो कि शाहजहाँ इस दुनिया में नही है वरना उस इंजिनियर के हाथ काट लेता जिसने ऐसी आलीशान इमारत बनाया कि आज तक 9 साल गुज़र गए इस 2 मंजिला इमारत को बने हुवे मगर कोई ये नही पता कर सका है कि आखिर इतनी खुबसूरत इमारत के दूसरी मंजिल पर जाये कैसे। लगता है शायद इंजिनियर ने गुप्त सीढ़ी बनाया हुआ है या फिर जीने मिस्टर इण्डिया फिल्म की तरह गायब है। वो भी ऐसे गायब की 9 साल से सब तलाश रहे है मगर मिली नही।
हम जानते है कि आप हैरत में होंगे, सोच रहे होंगे कि ऐसे ही बकवास है। थोडा अधिक लिखा डाला कि बिना सीढ़ी के ही दो मंजिला भवन बन गया। मगर ये हकीकत है हुजुर कि हम जो बयान कर रहे है वह एकदम 100 टका सच है। आज 9 साल गुज़र रहे है। 2014 में खुद आज़म खान ने इस अस्पताल का उद्घाटन किया था। मगर आज तक इसकी दुसरे मंजिल पर जाने की सीढ़ी नही मिल सकी। यह अनोखा अस्पताल है खीरी जिले के ब्लाक फूलबेहड़ सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र। जिसका शिलान्यास सपा सरकार में सन् 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और नगर विकास मंत्री आजम खान ने किया था।
मोटी कहे, या फिर लाखों रुपये की लागत से बनाई गई इमारत कहे। मगर इस विशालकाय बिल्डिंग का शिलान्यास तो बड़ी ही धूमधाम व हर्षोल्लास से किया गया। खूब ताली बजी, खूब वाह वाही हुई। लेकिन सम्बंधित जिम्मेदार यह भूल गए कि इस दो मंजिला इमारत पर जाने के लिए एक सीढ़ी की भी जरुरत पड़ती है। अब उसका नतीजा ये निकला कि नीचे से आप देख तो सकते है कि इमारत के ऊपर भी एक फ्लोर है। मगर अब 9 साल में ये ऊपर का तल्ला ऐसा लगता है कि जैसे भुत बंगला बन गया हो।
यहां आने वाले मरीजों का कहना है कि हम अस्पताल तो दवाई लेने आते है, लेकिन अस्पताल की दूसरी मंजिल पर कभी नहीं गए। हमें आज तक ऊपर जाने का रास्ता ही नहीं दिखा। वहीं सीएचसी अधीक्षक फूलबेहड़ अमितेश द्विवेदी ने बताया कि यहां सेकेंड फ्लोर बना है, जिसमें कई कमरे और एक हॉल भी है, लेकिन सीढियां नहीं बनी है। इससे मरीजों को भर्ती करने में समस्याएं होती हैं। साथ ही कई अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। सीएचसी प्रभारी फूलबेहड़ अमितेश द्विवेदी ने यह भी बतायां कि मैंने उच्च अधिकारियों से सीढियां बनवाने के लिए मांग की है। अब मांग कब पूरी होती है देखने वाली बात ही हो गई है।