आलू की फसल में हुए भारी नुकसान को सह न पाया किसान, सदमे से हुई मौत
शाहीन बनारसी(इनपुट-साहिल खान)
डेस्क: आंधी, ओलावृष्टि और मुसलाधार बारिशें किसानो के लिए बड़ी मुसीबत का पहाड़ साबित होती है। लम्बे समय से उस खेत को अपने खून पसीने सींच रहा किसान जब अपने सामने उन फसलो को बर्बाद होता देखता है तो उसका कलेजा मुंह को आ जाता है और इस नुकसान के बाद किसान का परिवार खाने खाने को तरस जाता है। कुछ किसान इस को कुदरत की यही मर्ज़ी थी कहकर टाल जाते है तो कुछ इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाते है।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है आगरा में फतेहपुर सीकरी में। लम्बे समय से फसलो में मेहनत करता आ रहा किसान जब सह न पाया तो नुकसान तो सदमे ने ले ली उसकी जान। जानकारी के अनुसार सुपहरा गांव के किसान सुशील कुमार मोदी (48) की आलू की फसल में हुए नुकसान के सदमे से मौत हो गई। 22 मार्च को अचानक उनकी हालत बिगड़ गई और ब्रेन हेमरेज का अटैक पड़ा। परिजन उन्हें लेकर आगरा हॉस्पिटल गए, जहां से दिल्ली रेफर कर दिया गया। परिजन दिल्ली के सफदरगंज हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी विभाग में उन्हें भर्ती कराए थे, जहां उपचार के दौरान 27 मार्च की सुबह उनकी मौत हो गई।
किसान की पत्नी सुशीला देवी ने बताया कि सुशील कुमार मोदी के पास करीब 12 बिस्वा जमीन है। उन्होंने अन्य किसानों से 15 हजार रुपये प्रति बीघा के हिसाब से बटाई पर 15 बीघा खेत लेकर आलू की फसल की थी। जिसमें करीब 3,75,000 रुपये की लागत आई थी। बटाई और लागत मिलाकर करीब 6 लाख रुपये आलू की फसल में खर्च हुए थे। जब आलू की खुदाई कराई तो आलू कुल डेढ़ लाख रुपये का ही पैदा हुआ। इस नुकसान के सदमे में आए किसान सुशील कई दिनों से परेशान चल रहे थे।
वही प्रधान प्रतिनिधि डब्बू सोलंकी ने भी बताया कि आलू में हुए नुकसान के सदमे से ही किसान की तबियत बिगड़ी थी। इलाज के दौरान मौत हो गई। पूर्व जिला पंचायत सदस्य जनक सिंह लोधी, महावीर सिंह वर्मा, जानकी प्रसाद, हीरो सिंह, सुरेश चंद्र, जगन सिंह लोधी, ओम प्रकाश, राम चरण आदि ने आलू की खेती में हुए नुकसान के सदमे में किसान पर नाराजगी जताई है। सरकार से पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपये की आर्थिक मदद, किसानों को शीतगृह के भाड़े पर अनुदान देने की मांग की है।