14 विपक्षी दलों ने केंद्रीय जाँच एजेंसियों के दुरूपयोग को लेकर खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा, अदालत करेगी याचिका पर 5 अप्रैल को सुनवाई

तारिक़ खान

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत द्वारा ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद 14 विपक्षी दलों ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसियों के कथित दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। विपक्ष की याचिका में दावा किया गया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा अलग-अलग मामलों में विपक्षी नेताओं निशाना बनाया जा रहा है, वहीं भाजपा के दागी नेताओं के खिलाफ किसी तरह की जांच नहीं हो रही है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि जांच के दायरे में आए कुछ नेता एक बार भाजपा में शामिल हो गए तो उनके खिलाफ मामलों को केंद्रीय एजेंसियों द्वारा हटा दिया गया या दबा दिया गया। इस याचिका को अतिरिक्त महत्व मिला है, क्योंकि कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीनी), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और जम्मू कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन पार्टियों के अलावा अन्य भी इसमें शामिल हैं। आम आदमी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति, तेलुगू देशम पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, जदयू, समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, जनता दल (सेक्युलर), ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट भी याचिका में पक्षकार हैं, जो इसे 2024 के लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार के खिलाफ सबसे बड़ी संयुक्त विपक्षी कार्रवाई बनाता है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार राजनीतिक लाभ के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है, इसलिए वे इस मामले में तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। याचिका के अनुसार, ‘जांच एजेंसियों (विशेष रूप से सीबीआई और ईडी) का उपयोग करने का एक स्पष्ट पैटर्न उभरा है। पूरे विपक्ष और अन्य मुखर नागरिकों को निशाना बनाने, उन्हें कमजोर करने और वास्तव में कुचलने के लिए और उन्हें संदिग्ध आधार पर विस्तारित अवधि के लिए जेल में डालने के लिए, इनका इस्तेमाल किया जा रहा है।’ याचिका में कहा गया है कि अक्सर कठोर कानूनों (जैसे कि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम, 2002) का उपयोग किया जाता है, जो जमानत को लगभग असंभव बना देता है, भले ही इसके तहत सजा की दर बहुत कम हो। अपने दावे का समर्थन करने के लिए विपक्षी दलों ने कहा कि 2014 से ईडी द्वारा दर्ज मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, जिनमें से अधिकांश मोदी शासन के आलोचकों और विरोधियों के खिलाफ लक्षित प्रतीत होते हैं।

इस संबंध में दर्ज मामलों में दोषसिद्धि की दर बहुत कम है, का तर्क देते हुए याचिका में कहा गया है कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत केवल ‘23 अभियुक्तों को दोषी ठहराया गया है’ और अधिकांश मामले ‘लंबित’ हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि यहां तक कि सीबीआई (जिसने 2004-14 के बीच 72 राजनीतिक नेताओं की जांच की, जिनमें से 43 विपक्ष से थे) ने 2014 के बाद कुल 124 नेताओं की जांच कर रही है, जिनमें से 118 विपक्षी दलों के हैं। इसका मतलब है कि 95 प्रतिशत मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ थे। याचिका में कहा गया है कि इस तरह के उदाहरण ‘2014 के बाद उत्पीड़न के एक उपकरण के रूप में ए​जेंसियों के उपयोग’ को प्रदर्शित करते हैं।

याचिका में कहा गया है कि पी0 चिदंबरम, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, संजय राउत और अन्य विपक्षी नेताओं को एजेंसियों ने गिरफ्तार किया था, लेकिन हिमंता बिस्वा शर्मा, नारायण राणे या शुभेंदु अधिकारी, यहां तक कि शिवराज सिंह चौहान जैसे मुख्यमंत्रियों, जो ‘सरकार के पक्ष में चले गए’ को या तो ‘रहस्यमय तरीके से’ ‘क्लीनचिट’ दे दी गई या उनके खिलाफ मामलों की जांच की गति एजेंसियों द्वारा बहुत धीमी कर दी गई। विपक्षी दलों ने कहा कि एजेंसियों के इस तरह के दुरुपयोग से ‘देश भर में वैध और संवैधानिक रूप से संरक्षित राजनीतिक गतिविधि और भाषण पर गंभीर प्रभाव पड़ता है’ क्योंकि यह राजनीति के स्तर को कम कर देता है। नेताओं को जांच के दायरे में रखने से उनके गंभीर राजनीतिक गतिविधि में शामिल होने के बजाय वे खुद का बचाव करने के लिए मजबूर होते हैं। याचिका में कहा गया है कि लगातार छापे मारना और राजनीतिक विपक्ष की गिरफ्तारी बढ़ते अधिनायकवाद वाले लोकतंत्रों का क्लासिक उदाहरण है। विपक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट पेश हुए थे। याचिका पर अदालत 5 अप्रैल को सुनवाई करेगा।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *