आईपीसी के 160 साल के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि आईपीसी की धारा 504 में अधिकतम सज़ा किसी को मिली, यह 1 नम्बर का तमगा राहुल गाँधी को सज़ा देकर गुजरात कोर्ट ने हासिल किया: एमपी विवेक तंखा

मो0 कुमेल

डेस्क: कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तंखा अपनी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को गुजरात की अदालत द्वारा 2 साल की सजा देने और उसके बाद लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के फैसले से बेहद नाराज हैं। उन्होंने एक ट्वीट के माध्यम से कहा है कि आईपीसी के 160 साल से ज्यादा के इतिहास में यह पहला मौका है जब आईपीसी की धारा 504 के तहत अधिकतम सज़ा किसी को मिली है।

उन्होंने अंग्रेजी में ट्वीट करते हुए कहा है कि भारत में आईपीसी 1 जनवरी 1862 में लागू हुई। देश की रियासतों में यह 1940 के दशक तक लागू नहीं थी। शोध से पता चलता है कि यह 160 साल से ज्यादा के आईपीसी के इतिहास में धारा 504 के तहत एक अपराध के लिए राहुल गांधी को 2 साल की सजा देने का पहला मौका है। अधिकतम सजा देकर गुजरात कोर्ट ने एक और नम्बर एक का तमगा हासिल कर लिया है।

बताते चले कि 2019 में कर्नाटक की रैली में चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है, बोलने पर सूरत की एक अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि का दोषी पाया है। 2 साल की सजा सुनाई गई है। अदालत से सजा मिलने के बाद शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी है। लोकसभा की अधिसूचना में कहा गया है कि उन्हें राहुल गांधी संविधान के अनुच्छेद 102 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 धारा 8 के तहत अयोग्य घोषित किया गया है।

कानूनी रूप से इस धारा की व्याख्या की गई है। कोई भी किसी व्यक्ति को उकसाने के इरादे से जानबूझकर उसका अपमान करे। इरादतन या यह जानते हुए कि इस प्रकार की उकसाहट उस व्यक्ति को लोकशांति भंग करनेए या अन्य अपराध का कारण हो सकती है को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा।

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