रेप और हत्या मामले में सजायाफ्ता अपराधी डेरा प्रमुख राम रहीम सिंह हरियाणा सरकार की नजरो में नही है ‘हार्डकोर क्रिमिनल’, हाई कोर्ट में उसके बचाव में आई हरियाणा सरकार, बोली स्वाति मालीवाल, “खट्टर साहब सीधा मंत्री क्यों नही बना देते है”
शाहीन बनारसी
डेस्क: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और हत्या तथा रेप केस में अदालत से दोषी करार दिए गए गुरमीत राम रहीम हरियाणा सरकार की नजरो में कोई हार्डकोर क्रिमिनल नही है, और न ही वह कोई हमलावर है। यह बाते कही और नही बल्कि हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में कही है। इसके बाद ही मामले अपनी त्वरित प्रतिक्रिया देते हुवे दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर तंज़ कसते हुवे कहा है कि राम रहीम इतना ही सही आदमी है तो सीधा मंत्री क्यों नही बना देते है।
खट्टर साब, इतना घणा सुथरा लागे है तो इसने सीधा मंत्री ही बणा देयो! शर्मिंदगी की सब हदें पार करके सत्ता में बने रहने के लालच में नए कीर्तिमान स्थापित करती हरियाणा सरकार! pic.twitter.com/llHyR9aZbi
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) March 1, 2023
दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल ने इस सम्बन्ध में ट्वीट करते हुवे लिखा है कि “खट्टर साब, इतना घणा सुथरा लागे है तो इसने सीधा मंत्री ही बणा देयो! शर्मिंदगी की सब हदें पार करके सत्ता में बने रहने के लालच में नए कीर्तिमान स्थापित करती हरियाणा सरकार!” स्वाति के इस ट्वीट पर भी काफी लोग खट्टर सरकार द्वारा हाई कोर्ट में दिले जवाब पर अपनी नाराज़गी प्रकट कर रहे है।
दरअसल, हरियाणा सरकार के 21 जनवरी के एक आदेश को चुनौती देते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी याचिका का जवाब सरकार की तरफ से रोहतक की सुनारिया जेल के अधीक्षक सुनील सांगवान ने दिया। सांगवान ने हाई कोर्ट को जवाब देते हुए कहा कि कोर्ट ने 7 अप्रैल, 2022 के अपने आदेश में राम रहीम को फरलो पर अस्थाई रिहाई देने के आदेश को बरकरार रखा था। अस्थाई रिहाई के इसी आदेश को हरियाणा सरकार ने सही ठहराया था। सरकार ने कहा कि “इस तरह के मामलों में परोल का मुख्य उद्देश्य आरोपी को उसकी व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याओं को हल करने का अवसर प्रदान करता है। ये आरोपी को समाज के साथ संबंध बनाए रखने में भी मदद करता है।”
इस याचिका पर जवाब देते हुए हरियाणा सरकार ने आगे कहा कि लगभग एक हजार दोषियों को इसी तरह परोल या फरलो दिया गया है। इन सब मामलों में कोई भी अप्रिय घटना नहीं हुई। एसजीपीसी केवल अपना प्रचार हासिल करने के लिए डोरा प्रमुख की परोल को चुनौती दे रहा है। बताते चले कि बलात्कार के दो मामलों में 10-10 साल की सजा और डेरा के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह और पत्रकार राम चंदर छत्रपति की हत्या के दो अलग-अलग मामलों में उम्रकैद की सजा काट रहा है। यही नहीं वो चार और आपराधिक मामलों में भी आरोपों का सामना कर रहा है, जिनमें से एक सीबीआई का मामला है, और तीन मामले पंजाब में बे’अदबी से जुड़े हैं।
इस सम्बन्ध में टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी खबर में ज़िक्र किया है कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की परोल के खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इसी के जवाब में हरियाणा सरकार ने ये बातें कही हैं। सरकार ने हाई कोर्ट को जवाब देते हुए लिखा, “राम रहीम को इन हत्याओं में सह-अभियुक्तों के साथ आपराधिक साजिश का दोषी पाया गया है। उन्हें आईपीसी की धारा 120B के आधार पर धारा 302 के तहत सजा दी गई है। धारा 120B के तहत आरोप स्वतंत्र रूप से तय किए जाते हैं। तो सजा के मामले में उसे वास्तविक अपराध के साथ पढ़ा जाना चाहिए।”