इसको विशाल किसान रैली न कहेगे आप तो और क्या कहेगे: किसान पहुच रहे मुंबई, आज़ाद मैदान में होगा धरना प्रदर्शन
शाहीन बनारसी (इनपुट सायरा शेख)
डेस्क: महाराष्ट्र के किसानो का जत्था मुंबई पहुचने वाला है। अपनी मांगों को लेकर राजधानी मुंबई की ओर सीपीएम के नतृत्व में मार्च कर रहे किसानो का हुजूम देख कर अहसास सा हो रहा है कि इनकी ताय्दात कोई दो-चार पांच हजार नही बल्कि 50 हज़ार के करीब होगी। नासिक जिले के डिंडोरी से शुरू हुआ यह विशाल किसान मार्च मुंबई के सीमा तक पहच चूका है।
अपनी मांगों के समर्थन में उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक जिले से मुंबई की ओर मार्च कर रहे हजारों किसान और आदिवासी बुधवार को ठाणे जिले में प्रवेश कर गए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे मौजूदा बजट सत्र के दौरान विधान भवन के बाहर आंदोलन करेंगे। उन्होंने अपनी विभिन्न समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह मार्च शुरू किया है। साथ ही किसानों ने बताया कि मुंबई पहुंचने के बाद वह अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर आजाद मैदान में धरना-प्रदर्शन शुरू करेंगे।
महाराष्ट्र सरकार मुंबई की ओर बढ़ रहे हजारों किसानों और आदिवासियों की मांगों को पूरा करने के प्रयास के तहत उनका प्रतिनिधित्व कर रहे प्रतिनिधिमंडल से गुरुवार को एक और दौर की बातचीत करेगी। मार्च का नेतृत्व कर रहे पूर्व विधायक जीवा गावित ने यह जानकारी दी। उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, संबंधित मंत्रियों और राज्य के शीर्ष अधिकारियों के साथ बातचीत की जाएगी। उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक जिले से मुंबई की ओर बढ़ रहे किसानों और आदिवासियों के ठाणे जिले में प्रवेश करने के बाद मंत्री दादा भुसे और अतुल सावे ने बुधवार देर रात किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी।
गावित ने कहा कि उन्होंने हमारी 40 प्रतिशत मांगों पर प्रतिक्रिया दी है। हमें मिले निमंत्रण का सम्मान करते हुए हम बैठक में शामिल होंगे। गावित ने कहा कि अगर सरकार की प्रतिक्रिया असंतोषजनक रही, तो मार्च जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि बुधवार रात हुई बैठक में मंत्री उनकी कुछ मांगों को लेकर सकारात्मक रहे। हालांकि, निर्णय राज्य सचिवालय में लिए जाएंगे। क्या है किसानों की मांग? प्रदर्शनकारियों ने विभिन्न मांगों को लेकर रविवार को मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर नासिक जिले के डिंडोरी शहर से अपनी पदयात्रा शुरू की थी। उनकी मांगों में प्याज की खेती करने वाले किसानों को तत्काल 600 रुपये प्रति क्विंटल की वित्तीय राहत देना, 12 घंटे तक बिना कटौती बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना और कृषि लोन माफ करना शामिल है। किसानों की कुल 14-15 मांगें हैं, जिसके बारे में वे आज सरकार से बात कर सकते हैं।