जाने आखिर क्या है सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमेटी द्वारा अडानी की कंपनी में जाँच में निकला वह बड़ा रहस्य जिसको आपके पसंदीदा मीडिया ने छिपा रखा है, दुबारा विपक्ष हुआ हमलावर कि ’20 हजार करोड़ किसके है?’
तारिक़ आज़मी
डेस्क: अडानी-हिंडनबर्ग मामले में कल शुक्रवार, 19 मई को सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है। कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट 6 मई को सौंप दी थी। पादुका पूजन करने वाली मीडिया ने तुरंत कह दिया कि अडानी को एक्सपर्ट कमेटी ने क्लीन चिट दे दिया है। पूरी रिपोर्ट को बताने से पहले ही आपकी पसंदीदा मीडिया अडानी की जयकारा कह रही है।
आप भी सोच रहे होंगे कि विपक्ष फर्जी आरोप लगा रहा था। हजारो करोड़ रुपयों के आरोप अडानी पर लगे जबकि वह तो निरीह निकले और जाँच में उनको क्लीन चिट मिल गई। दरअसल ऐसी बात नही है। पादुका पूजन में आपके पसंदीदा लोग इतना व्यस्त हुवे कि वह आपको अधूरे सच तक लेकर ही जा रहे है। बड़े बुजुर्गो ने कहा है कि एक अधुरा सच पुरे झूठ से भी अधिक होता है। तो आप इतना जाने कि विपक्ष का आरोप और भी बलवान इस रिपोर्ट के बाद हो गया है और अडानी को क्लीनचिट तो नही मिली है। बल्कि विपक्ष के आरोप को और भी बल मिल गया है।
पहले आपको बताते चले कि विपक्ष का अडानी पर क्या आरोप है। विपक्ष जिसमे ख़ास तौर पर राहुल गाँधी और कांग्रेस लगातार सवाल पूछ रही है कि ‘अडानी ग्रुप में लगे 20 हज़ार करोड़ रुपयों का निवेश किसका है?’ ये सवाल इस जाँच रिपोर्ट में भी उभर कर सामने आया है। हम इंडिया टुडे की रिपोर्ट के हवाले से बता रहे है कि एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट में इस बात को साफ़ साफ़ कहा गया है कि अडानी समूह ने पहली नज़र में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है। साथ ही अडानी समूह की कंपनियों में गैरकानूनी तरीके से किए गए निवेश के सबूत नहीं मिले हैं। लेकिन, 13 ओवरसीज़ कंपनियों के निवेश इनमे ऐसे है जिनकी जाँच सेबी 2020 से कर रही है और ये “चिकेन एंड एग” की स्थिति में है। यानी इनके मालिक कौन है अभी तक पता नही चला है।
यही एक बड़ा बिंदु पुरे जाँच रिपोर्ट में ऐसा है जिसको लेकर हिडेन बर्ग ने भी अपने रिपोर्ट में अडानी समूह पर आरोप लगाये थे और इसी को लेकर कांग्रेस भी आरोप लगाती आ रही है कि ‘अडानी समूह में 20 हज़ार करोड़ रूपये किसके है?’ इसके बाद से तो कांग्रेस सरकार पर ज़बरदस्त हमलावर है ही साथ ही मीडिया को भी अपने निशाने पर लिए है कि मीडिया भी रिपोर्ट की पूरी सच्चाई नही दिखा रहा है।
बहरहाल हम एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट पर आते है। अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी का ये भी कहना है कि कुछ चीजें हैं जिनकी जांच SEBI को तय करनी चाहिए। कमेटी की रिपोर्ट जो इंडिया टुडे ने ब्योरेवार लिखा है के अनुसार अडानी समूह के शेयरों में आर्टिफिशियल ट्रेडिंग का भी कोई पैटर्न नहीं मिला है। मगर सेबी को उन 13 विदेशी संस्थाओं के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं मिली थी। जिन पर अडानी मामले में आरोप लगे हैं। सेबी ये तय करे कि अब इन संस्थाओं की जांच कैसे होनी चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार 2020 से इन विदेशी कंपनियों की जांच की जा रही थी, लेकिन सेबी अब तक उनके मालिकों के बारे में पता नहीं कर पाई। अडानी ग्रुप के शेयरों के संबंध में सिस्टम से 849 ऑटोमेटेड अलर्ट जनरेट किए गए। स्टॉक एक्सचेंज की नजर में ये अलर्ट आए और 4 अलर्ट सेबी के सामने रखे गए थे। अपनी रिपोर्ट में एक्सपर्ट कमेटी ने कहा है कि अडानी-हिंडनबर्ग केस के सिलसिले में चर्चा के लिए हमने कुछ इंटरनेशनल सिक्योरिटी फर्म से कॉन्टैक्ट की कोशिश की थी।
एक्सपर्ट कमेटी ने कहा है कि कोई भी फर्म या बैंक, एक्सपर्ट कमेटी से बातचीत को राजी नहीं हुए। इनमें से कुछ ने अडानी समूह के साथ अपने व्यावसायिक संबंधों के चलते हितों का टकराव होने की बात कही। और कुछ भी बताने से मना कर दिया। अब कमेटी की सौंपी गई जांच रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे इस रिपोर्ट के विश्लेषण के लिए समय चाहिए। कमेटी की रिपोर्ट पक्षकारों को भी दी जाएगी। इस रिपोर्ट पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने इस पर सुनवाई की थी।
हिंडनबर्ग ने अडानी पर गंभीर आरोप लगाए थे
बता दें कि अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी 2023 को रिपोर्ट जारी कर अडानी ग्रुप की कंपनियों को ओवरवैल्यूड बताया था। अकाउंट्स में हेरफेर का आरोप लगाया था। साथ ही अडानी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप भी लगाए थे। हालांकि, हिंडनबर्ग के आरोपों को अडानी ग्रुप ने खारिज कर दिया था। लेकिन विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर जमकर बवाल मचाया और जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए एक विशेष कमेटी गठित की थी। अब इस कमेटी की ही रिपोर्ट सामने आई है।