बोल शाहीन के लब आज़ाद है तेरे: गुरु राती होवे के पईहिले रोटी जरुर खईहां, हई दुई जून का रोटी ब, ईहे बदे कुल किच्चाहिन ब जीवन म

शाहीन बनारसी

कल जल्दी सोये तो सीधे 2 जून को आँख खुली। अब भैया रात को सो तो सुबह आँख खुलेगी। जब कल सोये तो 1 जून था मगर पता नही कब सोते सोते 2 जून हो गया। सुबह सुबह जब आँख खुलकर मोबाइल पर गई तो एकगो हमरे भैया है। बड़का भैया असल में दिन में सोते है और रात्रिचर मतिन रतिया भर जगा करते है। बड़े प्रेम से हमारे अंकल आंटी ने नाम अनुराग रखा था। अब राग तो रहेगा ही उनके अन्दर। पहिला संदेसा देखा उनका लिखा ए शाहीन……..! आज रोटी जरुर खाना। आज राती होवे से पहिले रोटी खा लिहा। वही हमारे दुसरे भाई ए0 जावेद ने लिख के भेजा था कि मुह धोकर रोटी खा लो। हम बड़ा परेशान हो गये, सब रोटी काहे खाने को कह रहे है।

अब बड़का भैया का अईसा संदेसा देख के हमहू परेसान हो गये और तुरंते फोनियावा उन्हें तब ऊ बताये कि ‘अरे आज दो जून है और दो जून की रोटी के लिए ही तो सब रायता इंसान फैलाता है। तब हमारे समझ में आया कि ‘मतलब’ का ‘मतबल’ का हुआ। उसके बाद तुरंते ब्रश करके एक रोटी खाया। वैसे भैया हमारे कहे रहे की शेर मुह नही धोता है। हम उनको बता दिया कि हम शेर नही है, इंसान है।

बहरहाल, ये तो रही मज़ाक की बात। मगर कुछ चीज़े ऐसी होती है जो आती है तो अपने साथ ढेरो यादें लेकर आती है और जाती है ढेरो यादें छोड़ जाती है। आने जाने का यह सफ़र तो चलता रहता है, मगर वो यादें जो वो छोड़ जाता है, उनमे बीता हर लम्हा भले ही दिक्कत भरा ही क्यों न हो मगर हजारों यादें सजोये रखता है। ऐसा ही हमारा जून का महीना, जिसके आते ही दो चीजों की याद लोगो को सबसे पहले आती है और वो है उमस भरी और बेहाल गर्मी से बचने के लिए बारिश का इंतज़ार और दूसरा होता है इस भीषण तपिश में ‘दो जून की रोटी’ के लिए ‘चिलमन ओढ़ कर’ बाहर निकलना।

SHAHEEN BANARASI
शाहीन बनारसी एक युवा पत्रकार और लेखिका है

अक्सर आपने लोगो को ‘दो जून की रोटी’ जैसी कहावत कहते सुना होगा। कभी कभी इस कहावत को मज़ाक में कहता है तो वही कोई बड़ी ही गंभीरता से। मगर ये कहावत अक्सर कई लोगो को दुविधा में डाल देता है कि आखिर इसका मतलब क्या है? मीम्स में भी दो जून का काफी प्रचलन है, लोग इसके जुड़े फनी पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर भी करते हैं। ख़ास तौर से ये कहावत आज ज्यादा हलचल मचा रही है क्योकि आज दो जून है। कुछ लोगो को ऐसा लग रहा है कि ‘दो जून की रोटी’ का सम्बन्ध आज की दो तारीख से जुड़ा है।

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