उत्तराखण्ड: समान नागरिक आचार संहिता के ड्राफ्टिंग को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया देवभूमि का सौभाग्य, कांग्रेस ने खोला मोर्चा कहा ‘संविधान की आस्था के विपरीत, नए बखेड़े के लिए भाजपा का नया सियासी हथकंडा’

शफी उस्मानी/ईदुल अमीन  

डेस्क: आज शुक्रवार दोपहर समान नागरिक संहिता पर गठित कमेटी ने यूसीसी कानून के लिए अपना ड्राफ्ट तैयार होने की जानकारी दी थी। ड्राफ्टिंग कमेटी की सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड) रंजना प्रसाद देसाई ने शुक्रवार को दिल्ली में मीडिया से बातचीत कर बताया कि यूसीसी का मसौदा पूरा हो चुका है,  मीडिया में आये इस बयान के बाद कांग्रेस पार्टी ने उत्तराखंड सरकार की ओर से गठित समिति के समान नागरिक संहिता मसौदे को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की है। उत्तराखंड विधानसभा में नेता विपक्ष यशपाल शर्मा ने इस मसौदे को बीजेपी का नया सियासी बखेड़ा करार दिया है।

एक तरफ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इंतज़ार कर रहे हैं कि ड्राफ्ट कमेटी का मसौदा उनकी मेज़ तक पहुंचे और राज्य सरकार यूसीसी पर अगला कदम बढ़ाए। सीएम धामी ने इसे लागू करने को देवभूमि का सौभाग्य बताते हुए जल्द अपने अगले कदम का इशारा दे दिया है। ऐसे में अब सबकी नज़र ड्राफ्ट के सरकार की मेज़ तक पहुँचने पर टिक गयी है। इस बीच उत्तराखंड के कद्दावर नेता और नेता विपक्ष यशपाल आर्य ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सीधे-सीधे भाजपा सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि, “भारत के संविधान में आस्था रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए सवाल यह नहीं होना चाहिए कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) होनी चाहिए या नहीं।” उन्होंने कहा कि ‘असली सवाल तो यह है कि समान नागरिक संहिता कैसे कब और किस सिद्धांत के आधार पर लागू की जाए। अंबेडकर के अलावा नेहरू, लोहिया आदि द्वारा समान नागरिक संहिता को नीति निर्देशक तत्वों में रखने के पीछे मंशा यह थी कि इन्हें लागू करना देश के लिए एक लक्ष्य होगा।’

उन्होंने कहा, ‘पिछले सप्ताह से देश की जनता से समान नागरिक संहिता पर राय मांगी जा रही है। जबकि इससे पहले भी मोदी जी के नेतृत्व वाली भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा जस्टिस चौहान की अध्यक्षता में गठित विधि आयोग ने भी नवंबर 2016 में इसी मुद्दे पर जनता की राय मांगी थी। तब विधि आयोग ने रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा था कि, अभी सभी समुदायों के अलग-अलग पारिवारिक कानून के बदले एक संहिता बनाना न तो जरूरी है और न ही वांछित।’

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ‘पांच साल पहले भाजपा सरकार द्वारा गठित विधि आयोग की इस रिपोर्ट के बाद भी 2023 में दोबारा इसी प्रक्रिया को दोहराने से सरकार की मंशा पर कहीं न कहीं संदेह होता है। अभी भी देश में स्पेशल मैरिज एक्ट जैसा कानून है जिसके तहत किसी भी धर्म या सम्प्रदाय के जोड़े शादी रजिस्टर्ड कर सकते हैं। समान नागरिक संहिता के सवाल पर एक नया बखेड़ा शुरू करने की बजाय बेहतर होगा अगर मोदी सरकार अपने ही द्वारा नियुक्त किए पिछले विधि आयोग की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए सभी समुदायों के पारिवारिक कानूनों में तर्कसंगत और संविधान सम्मत बदलाव करने की शुरूआत करे।’

बताते चले कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इससे पहले में दावा किया था कि 30 जून को समिति रिपोर्ट का पहला मसौदा सरकार को सौंपेगी। लिहाजा सबकी नजर इस समिति पर थी। लेकिन इसके पहले ही अब उत्तराखंड में सियासी दंगल भी शुरू होता नज़र आ रहा है। एक तरफ दिल्ली में जहाँ मीडिया को ड्राफ्टिंग कमेटी की सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड) रंजना प्रसाद देसाई ड्राफ्ट के बारे में बता रही थी तो वहीं देहरादून में सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ‘यूसीसी कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद इसे लागू करने पर विचार किया जाएगा।’

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