कानपुर पुलिस कमिश्नर साहब, शायद ढीली है बेकनगंज थाने की सटोरियों पर पकड़, अगर मजबूत होती तो नदीम ‘नद्दु’ खुल्लम खुल्ला न खिलवा रहा होता सट्टा
शाहीन बनारसी
कानपुर: औद्योगिक नगरी के नाम से मशहूर रही है नगरी कानपुर। बड़े फक्र से लोग कानपुरिया लोग कहते थे कि ‘नगरी है नगीना, आते लोग चार दिन को और रह जाते है महीना।’ मगर वक्त की रफ़्तार के साथ सब रफ़्तार पकड़ चुके है। शहर भागम भाग में है। सभी व्यस्त है। इतना व्यस्त है कि बेकनगंज थाने की पकड़ खुद सटोरियों पर ढीली पड़ गई है और खुल्लम खुल्ला हीरामनपूरवा में सटोरिया सट्टा सञ्चालन कर रहा है।
भले ही कानपुर पुलिस कमिश्नर जोगदंड साहब अभियान चलाकर अपराध रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हो। अपराधी भले ही शांत बैह्ठे हो। बेकनगंज थाना क्षेत्र में इसका कोई खास असर नदीम ‘नद्दु’ पर देखने को नही मिलता है। हिरामनपूरवा के एक कटरे में आराम से कुर्सी मेज़ लगा कर खुल्लम खुल्ला सट्टा संचालित कर रहा है। हमारे पर पूरा वीडियो है, मगर समाज के हितो को देखते हुवे हम इसको बतौर साक्ष्य रखे है। प्रकाशित नहीं कर रहे है। आराम से कुर्सी पर बैठ कर टेबल लगा कर सट्टा खेलवाने वाले नदीम ‘नद्दु’ को शायद कानपुर कमिश्नरेट पुलिस का खौफ नही होगा। या फिर सब कुछ ‘आल इज वेल’ है।
कल तक गरीबी में ज़िन्दगी बसर कर रहा सट्टा संचालक नदीम उर्फ नद्दू इस कारोबार में दिन दुनी, रात चौगुना कमाने का काम कर रहा है। वहीं नदीम नद्दू के पास सट्टा लगाने वाले सैकड़ो लोग शार्टकट के चक्कर मे अपने घर परिवार को भुखमरी की कगार पर छोड़कर दिन रात सट्टे में गाढ़ी कमाई को लगा रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर खुल्लम खुल्ला सट्टे का संचालन होने के बाद भी स्थानीय पुलिस कार्यवाही क्यों नही करती है, तो इसका जवाब हमारे पास नही है। वैसे नदीम ‘नद्दु’ की माने तो ‘आल इज वेल’ है। अब नद्दु की मानने को दिल कहे या न कहे, दिमाग ज़रूर कहता है क्योकि खुल्लमखुल्ला सट्टे का संचालन उसके बात को बल देता है।