तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ: ‘पैदा न हो ज़मी से नया आसमां कोई, जी काँपता है…..!’, राहुल की याचिका से पहले ही भाजपा विधायक ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर रखा है ‘कैवियेट’, राहुल ने अब दाखिल किया याचिका
तारिक़ आज़मी
डेस्क: एक बड़ा खुबसुरत सा शेर ख्याल में आ गया। शायद आपके भी ख्याल में यह शेर इस खबर को पढ़ कर आएगा कि ‘पैदा न हो ज़मी से नया आसमां कोई, जी काँपता है आपकी रफ़्तार देख कर’। ऐसी ही सुपर फ़ास्ट रफ़्तार इस वक्त गुजरात से भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी की है। पूर्णेश मोदी साहब वही ‘मोदी’ है जिनकी शिकायत पर राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत ने मानहानि के मामले में 2 साल की सजा तो आईपीसी के इस धारा में अधिकतम सजा है सुनाई।
इसके बाद राहुल गांधी की संसद में सदस्यता भी चली गई और उनका दिल्ली में बंगला भी खाली करवाने में मंत्रालय ने देर नही किया। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार से संसद में अडानी मामले में सवाल पूछने पर राहुल गाँधी के साथ यह सब कुछ हुआ है। राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनावो के दरमियान एक भाषण में नीरव मोदी, ललित मोदी के उदाहरण देते हुवे कहा था कि ‘सारे चोरो के सरनेम मोदी क्यों होते है। इस मामले में भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने अपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करवाते हुवे इसको पुरे ‘मोदी समाज’ का अपमान बताया था।
मामला अदालत में गया तो कुछ समय बाद इसके ऊपर सुनवाई चालु हुई तो पूर्णेश मोदी ने ही हाई कोर्ट से सुनवाई पर स्टे इस दावे के साथ लिया कि उनके पास अभी पुख्ता साक्ष्य उपलब्ध नही है। हाई कोर्ट ने सुनवाई पर रोक लगा दिया और मामला यहाँ ठन्डे बस्ते में पड़ा हुआ था। अब कांग्रेस का आरोप है कि राहुल गांधी ने जब सदन में अडानी मामले को ऊठाया तो सरकार का कोई जवाब नही आ रहा है। जिसके बाद अचानक पूर्णेश मोदी ने अपना स्टे हटवा कर इस मामले में सुनवाई जारी करवाई और फिर 23 मार्च को अदालत ने अपराधिक मानहानि के मामले में राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुना दिया।
कांग्रेस का कहना है कि आईपीसी के इतिहास में यह इस धारा में अधिकतम सजा का पहला मामला है जिसमे पुरे दो साल की सज़ा सुनाया गया है। सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने गांधी को दोषी ठहराया और 2 साल कैद की सजा सुनाई, जिसके बाद उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। हालांकि, उनकी सजा निलंबित कर दी गई और उसी दिन उन्हें जमानत भी दे दी गई ताकि वह 30 दिनों के भीतर अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील कर सकें। इसके बाद राहुल गाँधी की संसद से सदस्यता रद्द हुई और फिर सम्बन्धित विभाग ने उनका दिल्ली का बंगला खाली करवा दिया।
अदालत ने इस फैसले के खिलाफ 3 अप्रैल को, गांधी ने अपनी दोषसिद्धि पर आपत्ति जताते हुए सूरत सत्र न्यायालय का रुख किया और अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की, जिसे 20 अप्रैल को खारिज कर दिया गया। हालांकि, सूरत सत्र न्यायालय ने 3 अप्रैल को गांधी को उनकी अपील के निपटारे तक जमानत दे दी। इसके बाद राहुल गांधी ने हाई कोर्ट गुजरात का रुख किया और पुनरीक्षण याचिका दायर किया। जिसमे 7 जुलाई को हाई कोर्ट ने फैसला देते हुवे याचिका को खारिज कर दिया।
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि गांधी के खिलाफ मामला एक बड़े पहचान योग्य वर्ग (मोदी समुदाय) से संबंधित है, न कि केवल एक व्यक्ति से। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में राहुल गांधी के खिलाफ लंबित अन्य शिकायतों पर भी ध्यान दिया, जिसमें पुणे कोर्ट में वीर सावरकर के पोते द्वारा दायर एक शिकायत भी शामिल थी। एचसी ने कहा कि कथित भाषण में गांधी ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में वीर सावरकर के खिलाफ मानहानि के शब्दों का इस्तेमाल किया था।
यह याचिका ख़ारिज होने के बाद अभी कांग्रेस इस पर विचार कर रही थी कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका कब और कैसे दाखिल किया जाए, उसके पहले ही पूर्णेश मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में इस सम्बन्ध में एक ‘कैवियेट’ दाखिल कर अदालत से इल्तेजा किया कि ‘किसी फैसले से पहले हमारी भी सुनी जाए।’ पूर्णेश मोदी के इस रफ़्तार को देखते हुवे तो बेशक इन्सान सोच ही सकता है कि आखिर ऐसी भी क्या जल्दी है? कैवियेट तो राहुल गांधी की याचिका दाखिल होने के बाद भी दाखिल हो सकती है, फिर ये आगे निकलने की होड़ तो नही है। बहरहाल, शनिवार को राहुल गांधी जो कांग्रेस के नेता है और अब पूर्व सांसद है के जानिब से ‘मोदी चोर’ टिप्पणी मामले में आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने के लिए उनकी पुनरीक्षण याचिका को खारिज करने के गुजरात हाईकोर्ट के 7 जुलाई के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।