एनसीपी की फुट पर बोले केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले; ‘उद्धव ठाकरे के तरह अब शरद पवार के भी बुरे दिन शुरू हो गए’
Union Minister Ramdas Athawale spoke on the feet of NCP; 'Like Uddhav Thackeray, bad days have started for Sharad Pawar too'
आदिल अहमद
डेस्क: हाल ही में एनसीपी नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार अपने चाचा के खिलाफ विद्रोह करते हुए महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए थे। पार्टी छोड़ते वक्त अजित पवार ने दावा किया था कि उनके साथ 40 विधायक हैं। उनके साथ 9 विधायकों ने शपथ ली। उनके साथ दो सांसद प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे भी हैं। इस मामले में आज मीडिया से बात करते हुवे केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि उद्धव ठाकरे के तरह अब शरद पवार के भी बुरे दिन शुरू हो गए है।
Union Minister Ramdas Athawale spoke on the feet of NCP; ‘Like Uddhav Thackeray, bad days have started for Sharad Pawar too’
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि उद्धव ठाकरे की तरह शरद पवार के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। अठावले ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत करते हुए ये बातें कहीं। उनसे जब शरद पवार के खिलाफ अजित पवार के विद्रोह के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘उद्धव ठाकरे की ही तरह शरद पवार के भी बुरे दिन शुरू हो गए हैं। उनके साथ जनता है, एमएलए हैं।’
VIDEO | "Shiv Sena wanted the CM's post for 2.5 years. I had advised the two sides (BJP and Shiv Sena) to resolve this issue, but that didn't happen. Yes, but Amit Shah didn't propose the '2.5-year CM formula'," says Union Minister Ramdas Athawale on Uddhav Thackeray's claim that… pic.twitter.com/E6vGMGJznf
— Press Trust of India (@PTI_News) July 9, 2023
उन्होंने कहा कि ‘लेकिन उसके बाद भी शरद पवार जैसे नेता को छोड़कर इतने एमएलए गए हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी जिंदगी का बहुत ग़लत वक्त आया है। अगर वे (शरद पवार) बीजेपी नीत एनडीए के साथ गठबंधन कर लिए होते तो उन्हें केंद्र में मंत्री का पद मिल सकता था। यहां तक कि वे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार भी हो सकते थे।’
वहीं, महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए शिवसेना और बीजेपी के बीच तकरार पर उन्होंने कहा कि उन्होंने दोनों पक्षों को सलाह दी थी कि वे बैठकर इसे सुलझा लें लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अठावले ने कहा, ‘शिवसेना ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री का पद चाहती थी। मैंने दोनों पक्षों (बीजेपी और शिवसेना) को सलाह दी थी कि वे इसका हल निकाल लें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सच्चाई ये है कि अमित शाह ने कभी भी ढाई-ढाई साल के लिए दोनों पार्टियों के मुख्यमंत्री होने का फॉर्मूला नहीं दिया था।’