बिलकिस बानो की अधिवक्ता ने अदालत में दलील देते हुवे कहा ‘क्या वो लोग रहम के पात्र हैं, जिन्होंने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार करके उसके पूरे परिवार को ख़त्म कर दिया, इसका जवाब है, नहीं’
ईदुल अमीन
डेस्क: बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को भी सुनवाई हुई जिस दौरान बिलकिस बानो की वकील शोभा गुप्ता ने जस्टिस बी0 वी0 नागरत्ना के नेतृत्व वाली दो जजों की बेंच से कहा कि इस मामले में दोषियों की सजा माफ करते हुए कई चीजों को दरकिनार कर दिया गया।
उन्होंने कहा, ‘इस अदालत की ओर से दिए गए फ़ैसलों के आधार पर जिन चीजों का ध्यान रखा जाना चाहिए था, 11 दोषियों को रिहा करते वक़्त उन्हें नज़रअंदाज़ किया गया। इनमें क्राइम टेस्ट, इंपेक्ट टेस्ट और सोसाइटी की मांग आदि को नज़रअंदाज़ किया गया।’
उन्होंने यह भी कहा कि न्यूनतम सज़ा 14 साल की है, लेकिन हत्या के दोषी ठहराए गए शख़्स ने सोच-समझकर और असाधारण निर्ममता के साथ अपराध को अंजाम दिया है तो उसकी सज़ा 26 साल है। इसके साथ ही बलात्कार के साथ हत्या के मामलों में 28 साल की सज़ा का प्रावधान है। गुप्ता ने अदालत से कहा कि दोषियों को रिहा किए जाने के ख़िलाफ़ लोगों का आक्रोश इतना ज़्यादा था कि उन्होंने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ इस अदालत तक गुहार लगाई थी।
इसके बाद शोभा गुप्ता ने कहा कि क्या वो लोग रहम के पात्र हैं जिन्होंने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार करके उसके पूरे परिवार को ख़त्म कर दिया। इसका जवाब है – नहीं। शोभा गुप्ता ने मीडिया से बात करते हुवे कहा कि इन 11 दोषियों को जेल भेजा जाना चाहिए जो उनकी मूल जगह है। उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई शक़ नहीं है कि इस अपराध को बेहद निर्ममता से अंजाम दिया गया था। देखिए, बिलकिस बानो को क्या कुछ झेलना पड़ा। इन दोषियों की समय से पहले रिहाई ग़लत है। शीर्ष अदालत को रिहाई के आदेश को रद्द करके इन 11 दोषियों को जेल भेजना चाहिए।‘
27 फ़रवरी 2002 को भीड़ ने बिलकिस बानो और उनके परिवार पर तब हमला किया था जब वो भाग रहे थे। उन्होंने बिलकिस का गैंगरेप किया और उनकी तीन साल की बेटी समेत परिवार के 14 लोगों की हत्या कर दी। गुजरात सरकार ने बीती 15 अगस्त को बिलकिस बानो के साथ बलात्कार के 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। इसके बाद बिलकिस बानो की ओर से शीर्ष अदालत में गुजरात सरकार के फ़ैसले को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गयी थी।