कृष्ण जन्माष्टमी पर बोल शाहीन के लब आज़ाद है तेरे: ‘यशोमती मैया से बोले नंदलाला…….’

शाहीन बनारसी

हमारा मादर-ए-वतन हिन्दुस्तान अमन-ओ-आमान का देश है। यहां पर विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाये जाते है बल्कि इसको त्योहारों का देश कहा जाता है। यहां अनगिनत धर्मो के लोग रहते है और सभी एक-दुसरे का त्यौहार मिल जुल कर मनाते है। हमारे मुल्क हिन्दुस्तान में छोटे से छोटे त्योहारों को भी बड़े ही धूम-धाम से सेलिब्रेट किया जाता है। हमारे यहां तो छोटी छोटी खुशियों को भी बड़े ही अच्छे ढंग से और धूम-धडाके के साथ मनाया जाता है।

हमारे देश में ईद-उल-फ़ित्र की सेवई जगदीश और मोहन के दूकान से आती है तो दीपावली की मिठाई शफीक और कलीम से खरीदी जाती है। दिवाली के पटाखे राशिद मियां के साथ जलाए जाते है। तो ईद की सेवई जय प्रकाश और संजय के साथ खाई जाती है। हमारे मुल्क में त्यौहार ही नहीं बल्कि एकता और प्रेम का भी समावेश मिलेगा। इसी खूबी और एकता के कारण ही तो जो आता है हमारे मुल्क का होकर, यही रह जाना चाहता है। दुनिया का है नगीना, आते है लोग हमारे मुल्क में गुज़ारने चंद दिन और रह जाते है साल और महिना।

बहरहाल, हम अपनी बात पर आते है। आज जन्माष्टमी है। सुबह से ही आपकी आँखें जन्माष्टमी की बधाई के सन्देश पढ़ते थक गई होगी तो वही मोबाइल का डाटा भी खत्म होने को आ गया होगा तो इस शाहीन ने जन्माष्टमी के सम्बन्ध में कुछ जानकारी इकठ्ठा किया और सोचा कि क्यों न आपको इससे रूबरू करवाऊ। इस जानकारी को साझा करने का मेरा मकसद बस इतना ही है कि मुहब्बत के इस मुल्क में जन्माष्टमी के विषय में शाहीन बताये तो रमजान की फजीलत सुमन बताये। तो आइये आपको जन्माष्टमी के पर्व से रूबरू करवाते है।

कृष्ण जन्माष्टमी हिंदूओं का एक प्रमुख त्योहार है। जिसे कृष्ण जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी या श्रीजयंती के रूप में भी जाना जाता है। इस बार जन्माष्टमी 6 और 7 सितंबर यानी दो दिन मनाया जाएगा। इस दिन विष्णु के आठवें अवतार, भगवान कृष्ण पैदा हुए थे। भगवान कृष्ण के भक्त इस दिन उनकी पूजा करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों में आते हैं। वैदिक कालक्रम के मुताबिक इस वर्ष भगवान कृष्ण का 5250वां जन्मदिन मनाया जाएगा। सबसे बड़ा जन्माष्टमी उत्सव मथुरा, वृन्दावन और द्वारका में आयोजित किया जाता है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म यहीं हुआ था और उन्होंने अपने बड़े होने के वर्ष यहीं बिताए थे।

हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, विष्णु के आठवें अवतार, भगवान कृष्ण – देवकी और वासुदेव के पुत्र का जन्म मथुरा के राक्षस राजा कंस को नष्ट करने के लिए जन्माष्टमी पर हुआ था। कंस, देवकी का भाई था। राक्षस राजा ने अपनी बहन और उसके पति को पकड़ लिया था और उन्हें जेल में डाल दिया था ताकि वह उनके 7वें बेटे यानि को भी मार सके। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। देवकी के सातवें बच्चे, बलराम के जन्म के समय, भ्रूण रहस्यमय तरीके से देवकी के गर्भ से राजकुमारी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित हो गया। वहीं, जब उनके आठवें बच्चे, कृष्ण का जन्म हुआ, तो पूरा महल गहरी नींद में सो गया।

जादुई तरीके से जेल के दरवाजे खुल गए और वासुदेव ने बच्चे को बचाकर वृन्दावन में नंद बाबा और यशोदा के घर पहुंचा दिया। आदान-प्रदान करने के बाद, वासुदेव एक बच्ची के साथ महल में लौट आए और उसे कंस को सौंप दिया। जब दुष्ट राजा ने बच्ची को मारने की कोशिश की, तो वह दुर्गा में बदल गई और उसे उसके विनाश के बारे में चेतावनी दी। इस तरह कृष्ण वृन्दावन में बड़े हुए और बाद में अपने मामा कंस का वध किया। भगवान कृष्ण के जन्म को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

शाहीन बनारसी एक युवा पत्रकार और लेखिका है

इस त्योहार को भगवान कृष्ण के भक्त इस दिन को बहुत भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। इस त्योहार को देवत्व, प्रेम और धार्मिकता के प्रतीक के रूप में भी जाना है। उनका जीवन और शिक्षाएं भक्तों को धर्म (धार्मिकता), कर्म (कर्म), और भक्ति (भक्ति) के आधार पर जीवन जीने के लिए प्रेरित करती हैं।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख सामान्य जानकारियों पर आधारित है।

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