सुरंग में फंसे मजदूरों के हताश परिजनों ने राहत और बचाव कार्य पर जताई चिंता, कहा ‘पता नहीं कब निकलेंगे’
शाहीन बनारसी/फारुख हुसैन
डेस्क: उत्तराखंड के उत्तर काशी में बन रहे टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए विज्ञान और भगवान दोनों का सहारा लेती उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी रेस्क्यू आपरेशन अभी भी जारी है। 12 नवम्बर से अन्दर फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए चल रहे रेस्क्यू आपरेशन के लिए अमेरिका की आगर मशीन मंगवाया गया था। मगर पहली बार इस मशीन में खराबी आई और फिर काफी प्रयास के बाद मशीन बनी तो अब वह टूट गई है।
उत्तराखंड में सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए प्लाज्मा मशीन ने काम करना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, ‘हैदराबाद से लाई गई प्लाज्मा मशीन ने रविवार सुबह से काम करना शुरू कर दिया है।‘ इसी बीच, बचाव में देरी को लेकर झारखण्ड स्थित खीरबेड़ा के ग्रामीण खासा चिन्तित दिखाई दे रहे हैं। ड्रिलिंग करने वाली ऑगर मशीन के ब्लेड मलबे में फंस गए, जिसके कारण बचाव कार्य में लगे दल को अन्य विकल्प पर विचार करना पड़ा। बताते चले घटना में बचाव कार्य 12 नवंबर से शुरु हुआ। यह निर्माणाधीन सुरंग चारधाम मार्ग का एक हिस्सा है लेकिन भूस्खलने के बाद इसका एक हिस्सा ढह गया। जिसके कारण मौजूद मजदूर भीतर ही फंस गए।
कयास यह लगाए जा रहे हैं कि 41 मजदूरों के बाहर निकलने में अभी भी देरी है। सुरंग के फंसे राजेंद्र के पिता श्रवण तक जब देरी की बात पहुंची तो खासा हताश दिखाई दिए। बताते चले श्रवण के पिता लकवाग्रस्त। राजेंद्र के अलावा गांव के अन्य मजदूर भी दो सप्ताह से सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं। वहीं अन्य मजदूर सुखराम के मां को जब इस बारे में पता चला तो वह गमगीन हो गई हैं। वहीं अनिल की मां घटना की सूचना के बाद से बीमार है।
सुरंग में फंसे अनिल के भाई सुनील ने कहा कि हर दिन, सिर्फ दो घंटे ही सुनने के लिए मिल रहा है। हमें नहीं पता कि इसमें कितना समय लगेगा। हम बस उनके आने की दुआ ही कर रहे हैं। सुनील घटना के बाद से ही घटना स्थल पर मौजूद हैं, जहां रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। वहीं सुरंग में फंसे सुखराम की बहन खुशबू ने कहा, घटना के बाद से ही पूरा गांव सदमे में है। हर कोई बचाव अभियान की जानकारी के लिए लगातार संपर्क कर रहे हैं।