छत्तीसगढ़ झीरम घाटी हत्याकांड जिसमे 29 सियासी शख्सियते मारी गई थी की जाँच पर NIA को लगा सुप्रीम कोर्ट से भी झटका, अदालत ने राज्य पुलिस को जांच करने की दिया इजाज़त, पढ़े क्या है पूरा मामला
आफताब फारुकी
डेस्क: छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी हत्याकांड बस्तर की झीरम घाटी हत्याकांड जो 25 मई 2013 को हुआ था और भारत में किसी राजनीतिक दल के नेताओं पर माओवादियों के सबसे बड़ा हमला था। जिस हमले में कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाई के अधिकांश बड़े नेताओं समेत 29 लोग मारे गये थे के सम्बन्ध में एनआईए को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य पुलिस को जांच की अनुमति दे दी है। छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने आपत्ति की थी। जिसे स्थानीय अदालत से लेकर हाई कोर्ट तक ने रोकने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद एनआईए ने इस पर रोक हेतु सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। आज मंगलवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार इस मामले की जांच के लिए स्वतंत्र है।
बताते चले कि इस हत्याकांड में मारे जाने वालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, कांग्रेस पार्टी के राज्य के अध्यक्ष और पूर्व गृह मंत्री नंद कुमार पटेल, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके महेंद्र कर्मा जैसे नेता शामिल थे। उस समय राज्य में भाजपा की रमन सिंह सरकार थी और केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी। केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच एनआईए से कराने की घोषणा की थी। लेकिन यह जांच आज तक पूरी नहीं हो पाई।
इसके अलावा इस मामले में गठित न्यायिक जांच आयोग की अंतिम रिपोर्ट भी आज तक नहीं आ पाई है। 2018 में जब राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी तो 17 दिसंबर को शपथ लेने के दो घंटे के भीतर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जो फ़ैसले लिए थे, उनमें से एक फ़ैसला झीरम घाटी कांड की एसआईटी जांच का भी था।
पहले से ही दर्ज़ इस मामले की प्राथमिकी से अलग, इस हमले में मारे गए कांग्रेस नेता उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने एक नई एफआईआर दर्ज़ कराई। उनका कहना था कि इस हत्याकांड में एनआईए ने हत्या और राजनीतिक षड्यंत्र को नहीं जोड़ा है। इसके अलावा जांच के अधिकांश ज़रुरी बिंदू भी एनआईए की जांच में शामिल नहीं हैं।
लेकिन इस मामले में एसआईटी गठित करने और मामले की नए सिरे से जांच को लेकर एनआईए ने बस्तर के विशेष न्यायालय और फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए, राज्य पुलिस या एसआईटी की जांच पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इस मांग को विशेष न्यायालय और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ख़ारिज़ कर दिया था। इसके बाद इस मामले को एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। मगर सुप्रीम कोर्ट से भी उसको झटका लगा है।