सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद को लगाईं जमकर फटकार, कहा सभी झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद करना होगा
अनुराग पाण्डेय
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद को जमकर फटकार लगाई है। आज मंगलवार को भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर याचिका सुनते हुए हुए अदालत ने कंपनी को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि पतंजलि आयुर्वेद के ऐसे सभी झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा।
लाइव लॉ ने अपनी खबर में लिखा है कि जस्टिस अमानुल्लाह ने सुनवाई के दरमियान मौखिक रूप से कहा कि अदालत ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगी और हर उस उत्पाद, जिसके बारे में झूठा दावा किया जाता है कि यह एक विशेष बीमारी को ‘ठीक’ कर सकता है, पर 1 करोड़ रुपये जुर्माना लगाने के बारे में सोचेगी।
इसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसके द्वारा हल्के बयान न दिए जाएं। पीठ ने यह भी जोड़ा कि वह इस मुद्दे को ‘एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ नहीं बनाना चाहती बल्कि उसका मकसद भ्रामक मेडिकल विज्ञापनों की समस्या का असल समाधान ढूंढना है।
लाइव लॉ के अनुसार, पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस मुद्दे को “एलोपैथी बनाम आयुर्वेद” की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है। यह कहते हुए कि वह इस मुद्दे की गंभीरता से जांच कर रही है, पीठ ने भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि केंद्र सरकार को समस्या से निपटने के लिए एक व्यवहार्य समाधान ढूंढना होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार से विचार-विमर्श के बाद उपयुक्त सिफारिशें पेश करने को कहा गया। इस मामले पर अगली सुनवाई 5 फरवरी 2024 को होगी। पिछले साल आईएमए की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ बयान देने के लिए बाबा रामदेव की खिंचाई की थी।