महिलाओं के साथ अपराध पर कड़े प्रावधान वाला ‘अपराजिता बिल’ राज्यपाल ने भेजा राष्ट्रपति को, टीएमसी ने लगाया राज्यपाल पर कानून बनने में देरी करने का कारण बनने का आरोप, बोले राज्यपाल ‘जल्दबाजी में लाया गया विधेयक है यह’
आदिल अहमद
डेस्क: पश्चिम बंगाल में महिला के साथ अपराध के लिए कड़े प्रावधान वाला अपराजिता बिल अब राज्यपाल सीवी आनंद बोस और राज्य की टीएमसी सरकार के बीच तकरार का नया मसला बन गया है। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अपराजिता बिल को विचार के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया है। पश्चिम बंगाल के राजभवन की मीडिया सेल की ओर से इस बारे में जानकारी दी गई है। राजभवन ने साथ ही विधानसभा सचिवालय की ओर से नियमों के तहत बहस का टेक्स्ट और अनुवाद न भेजने पर नाराज़गी भी जताई है।
मीडिया सेल की पोस्ट के अनुसार आज राज्य के मुख्य सचिव ने दिन में राज्यपाल से मुलाकात की और दोपहर में सरकार की ओर से अनिवार्य तकनीकी रिपोर्ट राज्यपाल को उपलब्ध कराई गई। राज्यपाल ने विधेयक को विचारार्थ राष्ट्रपति के पास भेज दिया है। राज्यपाल ने इसे जल्दबाज़ी में लाया गया विधेयक बताया है। उन्होंने कहा कि लोग इस बिल के लागू होने तक इंतज़ार नहीं कर सकते। लोगों को न्याय चाहिए और सरकार को इसके लिए काम करना चाहिए। ट्वीट में लिखा गया है, ‘अपनी बेटी को खोने से दुखी मां के आंसू पोंछना सरकार का काम है।’
तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस को बिल के क़ानून बनने में हो रही देरी के लिए ज़िम्मेदार बताया है। लेकिन राज्यपाल की ओर से कहा गया है कि बिल को जल्दबाज़ी में लाया गया और इसमें कई खामियां हैं। टीएमसी नेता कुणाल घोष ने शुक्रवार को मीडिया से कहा, ‘राज्यपाल को अपराजिता बिल तत्काल क्लियर कर देना चाहिए क्योंकि ये महिलाओं की सुरक्षा के लिए मॉडल बिल है और इसमें महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध करने वालों के लिए कठोर कार्रवाई का प्रावधान है।’
पश्चिम बंगाल में बीते महीने महिला डॉक्टर के साथ रेप और फिर हत्या का मामला सामने आया, जिसके बाद से राज्य और देशभर में डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसी सप्ताह विधानसभा में महिला सुरक्षा के लिए और सख्त प्रावधान करने वाले अपराजिता विधेयक को लेकर आई थीं। ये बिल सर्वसम्मति से सदन में पास हो गया, जिसके बाद ये राज्यपाल के पास भेजा गया है।