नही रहे दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफ़ेसर जीएन साईंबाबा, आपरेशन से उबरी जटिलताओं के वजह से दिल ने काम करना कर दिया था बंद, हैदराबाद के निम्स अस्पताल में लिया आखरी सांस
तारिक आज़मी
डेस्क: दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर रहे जीएन साईबाबा का शनिवार शाम को हैदराबाद के निम्स अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने शाम आठ बजकर 36 मिनट में अंतिम सांस ली। जानकारी के मुताबिक़ साईबाबा अस्पताल में भर्ती थे। बीते महीने उनके गॉल ब्लैडर हटाने की सर्जर हुई थी जिसके बाद उभरी जटिलताओं के सिलसिले में उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनका दिल काम नहीं कर रहा था।
जीएन साईबाबा दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफ़ेसर थे, जिन्हें साल 2014 में गै़रक़ानूनी गतिविधियां रोकथाम क़ानून (यूएपीए) के तहत गिरफ़्तार किया गया था। उन पर माओवादी संगठनों के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया गया था। साल 2017 में उन्हें दोषी क़रार देते हुए अदालत ने उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी लेकिन 14 अक्तूबर 2022 को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने जीएन साईबाबा को रिहा कर दिया। 24 घंटे के अंदर ही 15 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बेला त्रिवेदी की विशेष बेंच ने हाई कोर्ट के फ़ैसले को पलट दिया था।
सुप्रीम कोर्ट का मानना था कि साईबाबा समेत अन्य अभियुक्त ‘राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता के ख़िलाफ़ बेहद गंभीर अपराध के दोषी हैं।’ इस साल पांच मार्च को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने उन्हें एक बार फिर बरी कर दिया और कहा कि इंटरनेट से कम्युनिस्ट या नक्सल साहित्य डाउनलोड करना या किसी विचारधारा का समर्थक होना यूएपीए अपराध के तहत नहीं आता है। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने एक बार फिर साईबाबा की रिहाई के बॉम्बे हाई कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था।
बताया जा रहा है की आपरेशन से उबरी जटिलताओं के वजह से दिल ने काम करना बंद कर दिया था। डॉक्टर उन्हें सीपीआर दे रहे थे, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी। इसके बाद निम्स के डॉक्टरों ने साईबाबा के निधन की घोषणा कर दी। उनकी पत्नी वसंता ने एक बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने बताया है, ‘पिछले महीने 28 सितंबर को हैदराबाद के निम्स अस्पताल में पित्ताशय निकालने के सफल ऑपरेशन के बाद साईबाबा स्वस्थ हो गए थे।;
उन्होंने कहा है की ‘लेकिन उनके पेट में दर्द की शिकायत हुई। ऑपरेशन के छह दिन बाद पेट के अंदर उस जगह संक्रमण शुरू हो गया, जहां पित्ताशय को हटाकर स्टंट लगाया गया था। पिछले एक हफ़्ते से साईबाबा को 100 डिग्री फ़ारेनहाइट से अधिक बुखार और पेट में तेज दर्द हो रहा था। वो डॉक्टर की निगरानी में थे। इसके बाद 10 अक्तूबर को साईबाबा के पेट में जहां सर्जरी की गई थी वहां से मवाद निकाला गया। इसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। पेट में सूजन के कारण उन्हें काफी दर्द था। सर्जरी वाली जगह के पास इंटर्नल ब्लीडिंग हो रही थी, जिससे पेट में सूजन आ गई और उनका ब्लड प्रेशर कम हो गया था। शनिवार को उनका हार्ट काम नहीं कर रहा था, जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें सीपीआर दिया लेकिन साईबाबा की जान नहीं बच सकी।’