शाहजहांपुर में खेत में जुताई के दरमियान मिला तलवारों, बन्दूको का ज़खीरा

फारुख हुसैन

डेस्क: शाहजहांपुर के निगोही थाना क्षेत्र के ढकीया तिवारी गांव में स्थित एक खेत में खुदाई के दरमियान पुरानी जंग लगी तलवारों, खंजर, बरछी और बन्दूको का ज़खीरा मिला है। बताया गया कि एक किसान हल से खेत की जुताई कर रहा था। तभी जमीन के अंदर हल के किसी लोहे से टकराने की आवाज सुनाई दी। इसके बाद उस जगह की खुदाई की गई। खुदाई में वहां से पुरानी जंग लगी तलवारें, खंजर, बरछी और बंदूकें मिलीं।

घटना शाहजहांपुर के निगोही थाना क्षेत्र के ढकीया तिवारी गांव की है। गांव के रहने वाले बाबू राम ने बताया कि कुछ दिनों पहले जेसीबी से खेत की मिट्टी निकलवाई थी। मिट्टी निकलवाने के बाद वो पहली बार खेत जोत रहे थे। उसी दौरान जमीन से हथियारों का जखीरा निकला। इसकी सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और राजस्व विभाग के लोग वहां पहुंच गए। इसके बाद पुरातत्व विभाग को भी जानकारी दी गई। खेत से हथियार बरामद होने की खबर फैलते ही आस-पास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग इन्हें देखने पहुंच गए।

स्थानीय निवासियों के अनुसार पहले इस जगह एक बाग़ हुआ करता था। जिसको कुछ समय पहले बाबु लाल ने खरीद लिया। गाँव के लोंग यहाँ से मिटटी ले जाया करते थे। इस ज़मीन पर पहली बार हल चला है। जिसके दरमियान ये मामला सामने आया है। हथियार यहाँ कैसे आये यह किसी की जानकारी में नही है। शाहजहांपुर के एसएम कॉलेज के इतिहास विभाग के अध्यक्ष विकास खुराना ने इन हथियारों को इतिहास का हिस्सा बताया और अध्यन के लिए इसको जिलाधिकारी से माँगा है।

विकास खुराना के अनुसार शाहजहांपुर का इलाका 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहां के कई गांवों में अंग्रेजों के खिलाफ गदर की कई घटनाएं हुई थीं। अनुमान जताया गया है कि ये हथियार उस दौर के क्रांतिकारियों से भी जुड़े हो सकते हैं। ‘शाहजहांपुर इलाके में बंदूकों का उपयोग 18वीं सदी में शुरू हुआ। जबकि भारत में ये पहली बार बाबर के समय उपयोग में लाए गए थे। अभी तलवारों को देख नहीं पाया हूं। लेकिन जो सुना है उसके मुताबिक तलवार में चांदी चढ़ी है। और उनमें जंग भी लग चुका है। वहीं जो बंदूक मिली है उसमें लगी लकड़ी दीमक खा गई है। केवल नाल बची है। अनुमान है कि बंदूक लगभग 200 साल पुरानी होगी। हम लोग इसकी स्टडी के लिए DM से मांग करेंगे।’

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