विपक्ष की असहमति के बीच 11 के मुकाबले 15 वोटो से जेपीसी ने पास किया वक्फ संशोधन विधयक पर 14 बदलाव, बोले ‘ओवैसी एनडीए सरकार वक्फ बोर्ड की नींव को कमजोर करना चाहती है’

सबा अंसारी

डेस्क: वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर बनी संयुक्त संसदीय कमेटी ने बहुमत से अपनी रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। जेपीसी ने 11 के मुकाबले 15 वोटों से अपनी रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया। बिल पर वोटिंग के दौरान जेपीसी में शामिल विपक्ष के कई सदस्यों ने असहमति पत्र दिए हैं। रिपोर्ट में भाजपा और उनके सहयोगी एनडीए सदस्यों के सुझाए गए 14 बदलावों को शामिल किया गया है। जबकि विपक्ष के प्रस्तावित सभी 44 संशोधनों को खारिज कर दिया गया।

इस रिपोर्ट को आने वाले बजट सेशन के दौरान संसद में पेश किया जाएगा। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, डिसेंट नोट देने वाले विपक्षी सांसदों में कांग्रेस के गौरव गोगोई, सैय्यद नसीर हुसैन, डॉ मोहम्मद जावेद और इमरान मसूद, एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी, टीएमसी के कल्याण बनर्जी और नदीमुल हक और डीएमके सांसद ए राजा और एमएम अब्दुल्ला शामिल हैं। अपने डिसेंट नोट में औवैसी ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार वक्फ बोर्ड की नींव को कमजोर करने और देश में मुसलमानों को कमजोर करने के इरादे से वक्फ संशोधन विधेयक लेकर आई है।

उन्होंने वक्फ एक्ट 1995 में संशोधन करने के लिए सरकार द्वारा लाए सभी 44 क्लॉजेज को हटाने की मांग की है। एआईएमआईएम चीफ ने कहा कि वे न्याय, समानता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए विधेयक का विरोध कर रहे हैं। ओवैसी ने कमेटी के सामने सनातन संस्था और हिंदू जनजागृति समिति जैसे संगठनों द्वारा की जाने वाली बयानबाजी का मु्द्दा भी उठाया। जिन्होंने हिंदू राष्ट्र की स्थापना का आह्वान किया है। कांग्रेस सांसद नसीर हुसैन, मोहम्मद जावेद और इमरान मसूद ने अपने जॉइंट नोट में जेपीसी के काम करने के तरीके पर सवाल उठाया। उनका मानना है कि यह बिल वक्फ  प्रॉपर्टीज के मैनेजमेंट से ज्यादा राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित है। कांग्रेस सांसदों के मुताबिक, प्रस्तावित वक्फ बिल से मुकदमेबाजी, अतिक्रमण और वक्फ संस्थानों की स्वायत्तता का नुकसान होगा। और देश में मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों को ठेस पहुंचेगी।

वहीं टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी और नदीमुल हक ने बताया कि पैनल की बैठकों की डीटेल्स विपक्षी सदस्यों को उपलब्ध नहीं कराई गई। और उनकी दलीलों को दर्ज नहीं किया गया। अपने जॉइंट नोट में डीएमके सांसद ए राजा और अब्दुल्ला ने पैनल की रिपोर्ट को असंवैधानिक बताया। उन्होंने दावा किया कि इससे देश का धर्मनिरपेक्ष ताना-बाना बिगड़ सकता है। बिल पर वोटिंग के दौरान पांच सांसद अबसेंट रहे। जिसमें कांग्रेस के गौरव गोगोई, जदयू के दिलेश्वर कामत और बीरेंद्र हेगड़े, एनसीपी के सुरेश म्हात्रे और वाईआरसीपी के विजयसाई रेड्डी शामिल हैं। ये लोग पहले ही इस्तीफा दे चुके थे।

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