मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष द्वारा मुख्य न्यायाधीश पर बिना साक्ष्यो के लगाया गया था मंदिर तोड़ने का झूठा आरोप, अब अधिवक्ता धन्या कुमार जैन ने जस्टिस सुरेश कुमार कैत से मांगी सार्वजनिक माफ़ी

ईदुल अमीन

डेस्क: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (एचसीबीए) के अध्यक्ष ने मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत से माफ़ी मांगी है, क्योंकि उन्होंने जस्टिस कैत पर ‘बिना किसी सबूत’ के उनके आवास पर प्राचीन हनुमान मंदिर को ढहाने का आरोप लगाया था। जस्टिस कैत द्वारा बार एसोसिएशन के गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने से इनकार करने के बाद एचसीबीए अध्यक्ष धन्या कुमार जैन ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 जनवरी को लिखे अपने माफ़ीनामे में जैन ने लिखा कि ‘लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और माननीय उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार की ओर से बाद में दिए गए स्पष्टीकरणों ने दावों का खंडन किया है।’ उन्होंने लिखा, ‘सोचने पर मुझे लगा कि मेरे पत्र से भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है, जिसके लिए मुझे बहुत खेद है। मैं माननीय मुख्य न्यायाधीश से ईमानदारी से माफ़ी मांगता हूं और उनके प्रति अपना पूरा सम्मान व्यक्त करता हूं। मैं आपको आश्वासन देता हूं कि मैं भविष्य में ऐसी हरकतें नहीं दोहराऊंगा। मैं नहीं चाहता कि मेरे पिछले आवेदनों पर कोई कार्रवाई की जाए।’

इसके बाद जस्टिस कैत 26 जनवरी को बार एसोसिएशन के समारोह में शामिल हुए। उन्होंने कहा, ‘दशकों से हमारे यहां गणतंत्र दिवस समारोह में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के शामिल होने की परंपरा रही है। इंदौर में बार एसोसिएशन मेरे खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। अंत में मुझे न्यायपालिका के आपसी संबंधों की खातिर इस मुद्दे को दबाना पड़ा। मैंने हनुमान मंदिर को गिराए जाने के बारे में सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की थी। मेरे पास सबूत नहीं थे। बार एसोसिएशन के एक सदस्य ने इस मुद्दे को उठाया और कई लोग आगे आए और मुझसे इस मुद्दे को उठाने के लिए कहा। अंत में यह एक ध्रुवीकरण का मुद्दा बन गया। बार एंड बेंच के बीच संबंध ऐतिहासिक रूप से सबसे निचले स्तर पर थे।’

ज्ञात हो कि यह आरोप सबसे पहले एक अन्य अधिवक्ता रवींद्र नाथ त्रिपाठी ने 22 दिसंबर, 2024 को एक आवेदन में लगाया था, जिसे भारत के मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि जस्टिस कैत ने अपने सरकारी बंगले के परिसर में स्थित हनुमान मंदिर को ध्वस्त कर दिया है। एक दिन बाद आवेदन को कार्रवाई की मांग करते हुए उच्च सरकारी अधिकारियों को भेज दिया गया।’ कुछ दिनों बाद मध्य प्रदेश के रजिस्ट्रार जनरल ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि, ‘मंदिर के विध्वंस की खबरें पूरी तरह से झूठ हैं और हमारी न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को बदनाम करने के अलावा किसी अन्य उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती हैं, जो निष्पक्षता के साथ न्याय को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।’ बाद में रजिस्ट्रार जनरल ने भी स्पष्ट किया कि आरोप मनगढ़ंत थे।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *