कुशीनगर मदनी मस्जिद पर बुल्डोज़र एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सुप्रीम नाराज़गी, अधिकारियो को नोटिस जारी कर कहा ‘बताये क्यों न अवमानना का की कार्यवाही की जाए?’

तारिक खान
डेस्क: कुशीनगर में मदनी मस्जिद गिराए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासनिक अधिकारियों को सुप्रीम फटकार लगाते हुवे नोटिस जारी किया है। मस्जिद गिराए जाने से नाराज़ सुप्रीम कोर्ट ने सम्बन्धित अधिकारियो को अवमानना का नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों से पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए? मदनी मस्जिद की जमीन पर मालिकाना हक का दावा करने वाली अजमतुन्निसा की याचिका में जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज को प्रतिवादी बनाते हुए यह याचिका दाखिल की है।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादी से 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि फिलहाल मदनी मस्जिद में आगे की विध्वंसक कार्यवाही न की जाए। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 13 नवंबर 2024 के फैसले का हवाला दिया गया है। उस फैसले में कोर्ट ने देश की सभी राज्य सरकारों से कहा था कि वह बिना नोटिस बुलडोजर कार्यवाही न करें। इस तरह की कार्यवाही से पहले प्रभावित व्यक्ति को जवाब देने के लिए उचित समय दिया जाए।
याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा है कि बिना पक्ष रखने का मौका दिए 9 फरवरी को प्रशासन ने मस्जिद के एक हिस्से को गिरा दिया। प्रशासन ने जिस हिस्से को नक्शे से हट कर किया निर्माण कहा था, उसे मस्जिद मैनेजमेंट ने खुद हटा दिया था। फिर भी प्रशासन की तरफ से विध्वंस की कार्यवाही की गई। याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि मस्जिद का नक्शा 1999 में पास हुआ था। म्युनिसिपल ऑथोरिटी ने मंजूरी को वापस लिया था।
एड0 हुज़िफा अहमदी ने कहा कि ‘लेकिन 2006 में हाई कोर्ट ने उस फैसले को निरस्त कर दिया था। अहमदी ने यह दावा भी किया कि प्रशासन को मस्जिद के बारे में मिली शिकायत की जांच 22 दिसंबर 2024 को एसडीएम ने की। उन्होंने लगभग पूरे निर्माण को वैध और नक्शे के मुताबिक पाया। लेकिन बाद में उनका ट्रांसफर कर दिया गया। जिसके बाद मस्जिद के बड़े हिस्से को तोड़ दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज अख्तियार किये गये रुख के बाद प्रशासनिक अमले में हडकंप हो सकता है। मगर मस्जिदो की देख रेख करने वाली संस्थाओं और अन्य मुस्लिम संगठनो ने इस फैसले का इस्तकबाल किया है। दो सप्ताह में कुशीनगर की मदनी मस्जिद को गिराने के आदेश देने वाले अधिकारियो को सुप्रीम कोर्ट में जवाब देना है।