वाराणसी: नमो घाट पर मुस्लिम युवको की पिटाई, पुरे समाज और आराध्य को गालियाँ, वीडियो साक्ष्य होने के बावजूद भी आदमपुर इस्पेक्टर ने अल्पसंख्यक भाजपा नेता की घटना के सम्बन्ध में क्यों नहीं दर्ज किया शिकायत


तारिक आज़मी
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के नमो घाट जिसको पहले खिडकिया घाट कहा जाता था पर अवांछनीय तत्वों के द्वारा कारित होने वाली घटनाओं को अक्सर सुना और कहा जाता रहा है। मगर कभी कोई ऐसी घटना का साक्ष्य उपलब्ध नही रहता था। मगर इस बार वीडियो साक्ष्य वह भी गंभीर मुद्दे पर होने के बावजूद भी आदमपुर पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज न करना आदमपुर पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न उठा रहा है।
घटना के सम्बन्ध में भाजपा अल्पसंख्यक नेता जियाउर्रहमान की शिकायत को आधार माने तो 13 फरवरी की रात में जब वह अपने मित्र के साथ नमो घाट पर बैठे थे तभी दो नामज़द क्रमशः सीपू सहनी और साहिल सहानी के साथ कुछ अज्ञात युवक आकर मुस्लिम युवको को माँ बहन की भद्दी भद्दी गालियाँ देते हुवे मारना शुरू कर देते है। घटना के सम्बन्ध में शिकायतकर्ता भाजपा नेता जियाउर्रहमान ने एक वीडियो भी पुलिस को सौपा जिसमे साफ़ साफ़ देखा जा सकता है कि पुरे मुस्लिम समाज को कुछ युवक गालियाँ दे रहे है।
यही नहीं वीडियो में साफ़ साफ़ सुनाई दे रहा है कि उपद्रवी युवको के द्वारा अल्लाह की शान में भी अभद्र भाषा का प्रयोग किया जा रहा है। शिकायतकर्ता भाजपा नेता जियाउर्रहमान के अनुसार घटना के सम्बन्ध में उन्होंने 14 फरवरी को आदमपुर थाने में लिखित शिकायत दिया। जिसके सम्बन्ध में उसी दिन शाम को इस्पेक्टर आदमपुर ने उनको बुलवा कर समझाया को लड़के शराब के नशे में है। जिसके बाद मामला ठन्डे बस्ते में चला जाता है। इसके बाद कल दोपहर से सोशल मीडिया पर उक्त घटना का वीडियो और भाजपा नेता द्वारा दी गई पुलिस को शिकायत जमकर वायरल होने लगी।
इस सम्बन्ध में जब हमने आदमपुर इस्पेक्टर वीरेंदर कुमार से बात किया तो उन्होंने ऐसी किसी घटना की जानकारी होने से साफ़ साफ़ हमसे फोन पर मना करते हुवे कहा कि घटना और शिकायत के सम्बन्ध में स्थानीय चौकी इंचार्ज से बात करता हु। जिसके बाद उन्होंने हमको दुबारा कॉल करके शिकायती पत्र और सम्बन्धित वीडियो माँगा। जो कम से कम इस बात को तो साबित करता है कि घटना के सम्बन्ध में मिली शिकायत किसी ठन्डे बसते में जा चुकी है। वही जियाउर्रहमान की माने तो इस्पेक्टर आदमपुर ने उनसे आमने सामने हुई वार्ता में यह बात कहकर मामले को टाल दिया था कि लड़के नशे में है।
अगर जियाउर्रहमान के आरोप सही है तो फिर इस्पेक्टर साहब से एक सवाल हमारा भी है। यदि कोई व्यक्ति किसी दुसरे की शराब के नशे में हत्या कर देता है तो क्या वह उसको पकड़ेगे या फिर कहेगे कि जाने दो नशे में है जब नशा उतर जायेगा तब देखा जाएगा। जैसे इस घटना को छिपा कर इस्पेक्टर साहब शायद अभी उच्चाधिकारियों को आल इज वेल कह रहे है। वह बेशक उनकी नज़र में आल इज वेल हो, मगर हकीकत में तो आल इज नोट वेल्ल। क्योकि अपराध को छिपा कर अपराध पर नियंत्रण नहीं हो सकता है। बल्कि अपराध पर लगाम लगाने से अपराध पर नियंत्रण हो सकता है।
इस प्रकरण की घटनाए जो क्षेत्र के आपसी सौहार्द को बिगाड़ सकती थी, को जिस प्रकार से छिपाया गया है वह वाकई में आने वाले वक्त में किसी बड़ी दुर्घटनाओ का कारण बन सकती है। ऐसे घटनाओं को नज़रअंदाज़ यह कहकर करना की घटना करने वाले युवक शराब के नशे में थे, उन युवको के मनोबल को बढाने का काम है। जिसके बाद वह कोई अन्य बड़ी घटना को कारित कर सकते है। वही ऐसी घटनाओं पर शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होना मुस्लिम समाज के लिए एक बड़ी उदासीनता पैदा करने वाला है।