38 सालो बाद वापस बोतल से बाहर निकल रहा है ‘बोफोर्स का जिन्न’, सरकार ने लेटर रोगेटरी जारी कर मांगी अमेरिका से जानकारी, पढ़े क्या होता है लेटर रोगेटरी

तारिक आज़मी

डेस्क: बोफोर्स का ‘जिन्न’ एक बार फिर 38 साल बाद बाहर आता दिख रहा है। इस मामले में 64 करोड़ की जिस दलाली की बात कही गई थी, उसको लेकर भारत सरकार ने अमेरिका से जानकारी मांगी है। दरअसल, इस मामले में एक और किरदार सामने आया है- हर्शमैन। ये हर्शमैन फेयरफैक्स ग्रुप के प्रमुख हैं। बोफोर्स घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की गई है। इस सम्बन्ध में एक याचिका भी दाखिल हुई है, जिसमें जल्द सुनवाई की मांग की गई है।

यह अर्जी 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देती है, जिसमें हिंदुजा बंधुओं को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई का आग्रह किया गया है। इस प्रकरण में ‘लेटर रोगेटरी’ की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि आठ नवंबर, 2023, 21 दिसंबर, 2023, 13 मई, 2024 और 14 अगस्त, 2024 को अमेरिकी प्राधिकारियों को भेजे गए पत्रों और स्मरणपत्रों से कोई जानकारी नहीं मिली।

ये वहीं, बोफोर्स मामला है, जिसने राजीव गांधी की सरकार को हिला कर रख दिया। 1989 के आम चुनावों में राजीव गांधी 400 पार सीटों से सीधे करीब 200 सीटों तक चले आए। हालांकि 2004-05 में दिल्ली हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। फिर बोर्फोस एक शानदार तोप साबित हुई, जिसकी बदौलत भारतीय सेना ने 1999 में करगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार भागाया। बोफोर्स तोप घोटाला मामला 1986-87 का है, जिसमें 400 बोफोर्स तोपों के लिए स्वीडन की कंपनी पर भारतीय राजनेता और रक्षा अधिकारियों पर घूस देने का आरोप है। सीबीआई ने जिस तरह से अमेरिका से नई जानकारी मांगी है। उससे लगता है कि सरकार एक बार फिर बोफोर्स की फाइल खोलने की तैयारी में है।

सीबीआई को इस साल 14 जनवरी को गृह मंत्रालय से अमेरिका को ‘लेटर रोगेटरी’ भेजने के लिए हरी झंडी मिल गई थी। एजेंसी ने विशेष अदालत को इसकी जानकारी दी, जिसने 11 फरवरी को सीबीआई के ‘लेटर रोगेटरी’ आवेदन को मंजूरी दे दी। हर्शमैन ने दावा किया था कि 64 करोड़ की दलाली के इस मामले की जांच में वो मदद कर सकते हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि बोफोर्स से मिला कमीशन का पैसा एक बैंक में जमा कराया गया था। अब सीबीआई ने अमेरिका को एक लेटर ऑफ रोगेटरी भेजा है जिसमें बोफोर्स के निजी जांचकर्ता माइकल हर्शमैन से जुड़ी जानकारी मांगी है।

‘फेयरफैक्स ग्रुप’ के प्रमुख हर्शमैन 2017 में निजी जासूसों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए थे. इस दौरान वह विभिन्न मंचों पर दिखाई दिए और उन्होंने आरोप लगाया कि घोटाले की जांच कांग्रेस सरकार द्वारा पटरी से उतार दी गई थी. हर्शमैन ने कहा है कि वह सीबीआई के साथ विवरण साझा करने के लिए तैयार हैं. एजेंसी ने विशेष अदालत को सूचित किया कि हर्शमैन के खुलासे के बाद, वह जांच को फिर से खोलने की योजना बना रही है.

रोगेटरी एक औपचारिक अनुरोध होता है जिसमें एक देश की न्यायिक एजेंसियां दूसरे देश से किसी आपराधिक मामले में मदद मांग सकती हैं। ‘फेयरफैक्स ग्रुप’ के प्रमुख हर्शमैन 2017 में निजी जासूसों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए थे। इस दौरान वह विभिन्न मंचों पर दिखाई दिए और उन्होंने आरोप लगाया कि घोटाले की जांच कांग्रेस सरकार द्वारा पटरी से उतार दी गई थी। हर्शमैन ने कहा है कि वह सीबीआई के साथ विवरण साझा करने के लिए तैयार हैं। एजेंसी ने विशेष अदालत को सूचित किया कि हर्शमैन के खुलासे के बाद, वह जांच को फिर से खोलने की योजना बना रही है।

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