ख़ुशी से झूम उठी एएसआई की टीम घने जंगलो में जब मिला ये अनमोल खजाना: आन्ध्र प्रदेश के घने जंगलो में एएसआई को मिला 800 से 2000 साल पुराने शिलालेख और अद्भुत शैलचित्र, इतिहास में जुदा नया अध्याय


ईदुल अमीन
डेस्क: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने आंध्र प्रदेश के लंकामला रिजर्व फॉरेस्ट में हजारों साल पुराने शिलालेखों और अद्भुत शैलचित्रों की ऐतिहासिक खोज की है। यह ऐतिहासिक खोज आंध्र प्रदेश के समृद्ध अतीत को उजागर करती है। यह भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ती है और भविष्य में और भी महत्वपूर्ण खोजों का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। इन खोजों को हाल के समय की सबसे बड़ी पुरातात्विक उपलब्धि बताया जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, ये शिलालेख 800 से 2000 साल पुराने हैं और यह स्थल एक महत्वपूर्ण शैव तीर्थस्थल रहा होगा। यह खोज एक व्यापक सर्वेक्षण के दौरान की गई, जिसमें तीन प्राचीन गुफाओं का पता चला। इनमें से एक गुफा में आदिमानवों द्वारा बनाए गए भित्ति चित्र मिले हैं, जिनमें जानवरों, ज्यामितीय आकृतियों और मानव आकृतियों को उकेरा गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये चित्र मेगालिथिक (लोहे के युग) और प्रारंभिक ऐतिहासिक काल (2500 ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ईस्वी) के हैं। इन चित्रों को लाल गेरू, काओलिन, पशु वसा और हड्डियों के चूर्ण से बनाया गया था।
इन खोजों में 4वीं से 16वीं सदी के बीच के ब्राह्मी (4वीं सदी), शंख लिपि (6वीं सदी), नागरी (संस्कृत) और तेलुगू लिपि में लिखे गए शिलालेख शामिल हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि लंकामला कभी एक महत्वपूर्ण शैव तीर्थस्थल था, जहां उत्तर भारत से भी श्रद्धालु आते थे। यह सर्वेक्षण 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच नित्यपूजकोना, अक्कादेवतलाकोंडा और बांदिगनी चेल्ला के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में किया गया। कुल 30 शिलालेखों की पहचान की गई।
सर्वेक्षण दल के नेता के। मुनिरत्नम ने बताया कि एक स्थानीय वन अधिकारी ने इन शिलालेखों की तस्वीरें भेजी थीं, जिसके बाद इस ऐतिहासिक खोज की शुरुआत हुई। उन्होंने बताया, हमने हजारों फीट ऊंची खड़ी पहाड़ियों पर चढ़ाई कर इन शिलालेखों को कॉपी किया। यह बेहद जोखिमभरा लेकिन ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण कार्य था। इस खोज में कुछ ख़ास बाते निकल कर सामने आई है। जिनमे
- लंकामला कभी एक प्रमुख शैव तीर्थस्थल था, जहां उत्तर भारत से भी भक्त आते थे।
- यहां मिले शिलालेख इस क्षेत्र की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं की जानकारी देते हैं।
- यह खोज भारत के प्राचीन तीर्थयात्रा मार्गों को समझने में मदद करेगी।