बिहार विधानसभा चुनाव: दिल्ली में हुई बैठक के बाद स्थिति हुई साफ़, कांग्रेस और राजद मिल कर लड़ेगे बिहार में चुनाव

अनिल कुमार
डेस्क: बीते मंगलवार 25 मार्च को कांग्रेस के प्रधान कार्यालय इंदिरा गांधी भवन नई दिल्ली में बिहार के नेताओं के साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक महत्वपूर्ण बैठक की और इस बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया कि, बिहार में कांग्रेस राजद के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी।
इस खबर ने कांग्रेस के बिहार नेताओं और कार्यकर्ताओं को चौंकाया है। क्योंकि कांग्रेस ने बिहार का अपना राष्ट्रीय प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष को बदला था, तब ऐसा लग रहा था जैसे बिहार में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी। मगर 25 मार्च को राहुल गांधी ने इस संभावना पर विराम लगा दिया और लग रहा है कि बिहार में कांग्रेस और राजद का गठबंधन अटूट है और अटूट ही रहेगा। राहुल गांधी और कांग्रेस दिल्ली की तर्ज पर बिहार में विधानसभा का चुनाव लड़ना क्यों नहीं चाहती, जबकि बिहार में कांग्रेस दिल्ली से कहीं अधिक मजबूत है?
बिहार में कांग्रेस के तीन लोकसभा सांसद हैं, एक राज्यसभा सांसद है, 19 विधानसभा सदस्य हैं, इसके बावजूद भी कांग्रेस आरजेडी से गठबंधन बरकरार रखना चाहती है। इसकी असल वजह वफादारी है और कांग्रेस की सुप्रीमो सोनिया गांधी की इच्छा है। क्योंकि आरजेडी एक मात्र पार्टी है और उसके नेता लालू प्रसाद यादव ही वह नेता है जो कांग्रेस और गांधी परिवार के बुरे वक्त में उनके साथ खड़े थे और आज भी खड़े हुए हैं। सोनिया और लालू प्रसाद यादव के रहते दोनों नेता नहीं चाहते कि, कांग्रेस का यह रिश्ता बेवजह ही टूट जाए। क्योंकि बिहार में कोई खास वजह तो है नहीं इसके कारण दोनों का रिश्ता टूटे।
देश में कांग्रेस के साथ मजबूती से केवल राजद ही और लालू प्रसाद यादव ही नजर आते हैं। बाकी अन्य दल आए गए की स्टाइल में कांग्रेस के साथ रहे हैं और कांग्रेस के गठबंधन वाले राज्यों में कांग्रेस की हमेशा बिहार में ही स्थिति अन्य राज्यों से अधिक मजबूत भी रही है। जबकि दिल्ली के अन्दर स्थिति थोड़ी अलग थी। आम आदमी पार्टी ने हरियाणा और पंजाब में कांग्रेस को धक्का दिया था। सबसे बड़ा नुक्सान कांग्रेस का गुजरात में हुआ था। जहा आम आदमी पार्टी के कारण सत्ता कांग्रेस से दूर हुई थी। ऐसे में लालू यादव का साथ कांग्रेस के पाले में हमेशा रहेगा।
बिहार में कांग्रेस अपने गठबंधन को मजबूत करना चाहती है! इस पर राजद और उसके नेताओं को एतराज भी नहीं होना चाहिए! यदि कांग्रेस बिहार में कन्हैया कुमार और पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव को चुनाव में जिम्मेदारी देना चाहती है तो इससे अकेली कांग्रेस ही मजबूत नहीं होगी बल्कि इसका फायदा गठबंधन को भी मिलेगा! आरजेडी ने इसकी झलक लोकसभा चुनाव 2024 में देखी थी! यदि कन्हैया कुमार और पप्पू यादव कांग्रेस के टिकट पर बिहार में लोकसभा का चुनाव लड़ते तो आज बिहार में कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन की स्थिति कुछ और ही होती और कांग्रेस और आरजेडी लोकसभा में मजबूती के साथ नजर आती!
ऐसे में आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव को भविष्य की चिंता नहीं करके वर्तमान की चिंता करनी चाहिए। वर्तमान में यदि कन्हैया कुमार और पप्पू यादव, तेजस्वी यादव मिलकर एक साथ विधानसभा चुनाव में नजर आए तो 2025 के विधानसभा चुनाव की तस्वीर ही अलग नजर आएगी। राजद के पास अवसर है। क्योंकि एनडीए गठबंधन मजबूत दिखाई नहीं दे रहा है और भारतीय जनता पार्टी की नजर कांग्रेस और राजद गठबंधन पर है। यदि गठबंधन नहीं हुआ और तेजस्वी यादव अपनी जिद पर अड़े रहे तो 2024 की तरह 2025 में भी आरजेडी को बड़ा नुकसान होगा। शायद भारतीय जनता पार्टी इसी पर नजर गड़ाए हुए हैं। इसे राहुल गांधी समझ रहे हैं और उन्होंने इसीलिए बिहार में फैसला किया कि राजद और कांग्रेस बिहार विधानसभा का चुनाव एक साथ मिलकर लड़ेंगे।