देहुली हत्याकांड: घटना के 44 साल बाद कातिलो को सुनाया अदालत ने सजा-ए-मौत

मो0 कुमेल

डेस्क: देहुली हत्याकांड में आज 4 दशक से ज्यादा के इंतजार के बाद दोषियों को सज़ा सुनाई गई। यूपी के मैनपुरी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने मंगलवार को कप्तान सिंह, राम पाल और राम सेवक को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा और 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। तीनों को 12 मार्च को दोषी करार दिया गया। जिसके बाद कल मंगलवार को एडीजे कोर्ट ने सजा का एलान किया।

फिरोज़ाबाद के देहुली गांव की है। जब ये नरसंहार हुआ, तब देहुली गांव फिरोजाबाद के थाना जसराना क्षेत्र में आता था। मैनपुरी जिला बनने के बाद फिरोजाबाद से केस मैनपुरी ट्रांसफर कर दिया गया। 1981 में 17 हथियारबंद डकैतों ने देहुली गांव में दलितों पर हमला बोल दिया। इस हमले में 23 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि एक शख्स ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्थानीय लैइक सिंह की तहरीर पर इस हत्याकांड का मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस ने हत्याकांड में शामिल 17 डकैतों को चार्जशीट में आरोपी बनाया। लेकिन केस की सुनवाई पूरी होने में इतनी देर हो गई कि 17 में से 13 आरोपियों की मौत हो गई। इस मामले में एक आरोपी अभी भी फरार है।

देहुली में हुए इस सामूहिक नरसंहार से तब की केंद्र और प्रदेश सरकार में हलचल मच गई थी। तब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, ‌गृहमंत्री बीपी सिंह, मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को देहुली का दौरा करना पड़ा। इसके अलावा विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेई भी पीड़ितों का दर्द बांटने‌ देहुली गांव पहुंचे थे।

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