कर्णाटक: राज्य सरकार के फ़ूड एंड सेफ्टी विभाग का दावा, छापेमारी में मिला इडली में कैसरकारी तत्व, इडली को बनाने में प्रयोग होने वाले प्लास्टिक शीट्स है इसका मुख्य कारण


ईदुल अमीन
डेस्क: जब कभी लोग बाहर रेस्टोरेंट्स में खाना खाने जाते हैं, तो इडली को खाने के लिए सबसे सुरक्षित समझा जाता है। मगर, कर्नाटक सरकार को इडली में ऐसे विषाक्त पदार्थ मिले हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। दरअसल, कर्नाटक के फ़ूड सेफ़्टी विभाग ने पूरे राज्य में 241 होटलों या वेंडर्स के यहां छापा मार कार्रवाई की। इनमें 52 स्थानों पर यह देखने में आया कि होटलों के संचालनकर्ता इडली बनाने के लिए साफ़ कपड़े की बजाए प्लास्टिक शीट्स का इस्तेमाल कर रहे थे।
आमतौर पर इडली का बैटर साफ़ कपड़े में रखा जाता है, जिसे भाप में पकाने के लिए ट्रे में रखा जाता है। मगर, फ़ूड सेफ़्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन विभाग ने यह पाया कि सड़क किनारे खाना बेचने वालों के साथ-साथ रेस्टोरेंट्स भी इडली बनाने में प्लास्टिक शीट्स का इस्तेमाल कर रहे थे, जो कैंसरकारी तत्व पैदा करने की वजह बनते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है।
वहीं, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने मीडिया को दिले अपने बयान में कहा है कि ‘हम यह नहीं कह रहे हैं कि सारा खाना असुरक्षित है। हम यह कह रहे हैं कि आप जो खाते हैं, उसे देखें। जो लोग खाद्य पदार्थ बेच रहे हैं, उनको भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो अपने ग्राहकों को क्या बेच रहे हैं। कई बार जो लोग खाद्य पदार्थ बेचते हैं, वो नहीं जानते हैं कि उनके ग्राहकों के स्वास्थ्य के लिए क्या चीज़ ख़राब है।’
लेकिन, फ़ूड सेफ़्टी विभाग को केवल इडली में ही विषाक्त पदार्थ नहीं मिले हैं। इसी तरह की छापामार कार्रवाई में यह बात भी सामने आई कि भुने हुए हरे मटर के दानों को और चमकदार बनाने के लिए रंगों का उपयोग किया जा रहा है। कुछ महीने पहले, कॉटन कैंडी, चिकन कबाब, चाय, केक और अन्य खाद्य पदार्थों में भी ऐसे ही रंग मिलाए जाने की बात सामने आई थी। इस मामले पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा, ‘हरे मटर के मामले में भी, वे लोग प्रतिबंधित केमिकल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि इनका इस्तेमाल निश्चित तौर पर खाद्य पदार्थों में नहीं किया जाना चाहिए।’
फ़ूड सेफ़्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अधिकारियों ने कई स्थानों से टैटू में इस्तेमाल होने वाली स्याही के भी कई सैंपल एकत्रित किए। इनमें 22 भारी धातु (सेलेनियम, क्रोमियम, प्लेटिनम, आर्सेनिक आदि) होने की बात सामने आई। विभाग ने कहा, ‘यह ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड्स और रूल्स ऑफ़ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के मानकों के मुताबिक नहीं है। इस कारण त्वचा की कई बीमारियां, बैक्टीरियल इन्फ़ेक्शन, वायरल इन्फ़ेक्शन, फंगल इन्फ़ेक्शन आदि हो सकता है।’
एचसीजी कैंसर सेंटर के डॉक्टर यूएस विशाल राव ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘जब नॉन-फ़ूड ग्रेड प्लास्टिक उच्च तापमान पर पिघलता है, तो विषाक्त पदार्थों का कुछ हिस्सा इडली में चला जाता है। पारंपरिक तौर पर इडली बनाने में कपड़े के साफ़ टुकड़े का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि किसी तरह के कंटेमिनेशन को रोका जा सके।’