दालमंडी चौडीकरण प्रकरण पर तारिक आज़मी की मोरबतियाँ: बात ये नहीं कि माल और होटल खुलेंगे, यातायात सुगम होगा, सवाल ये है कि 10 हजार दुकानदारों और उनके कर्मचारियों की रोज़ी का क्या होगा?

तारिक आज़मी

डेस्क: भैया देखो हम तो कहते है सफा कि हम न सपा की बात करते है और न बसपा की और भाजपा की। हम सिर्फ और सिर्फ इंसान और इंसानियत की बात करते है। वैसे भी हमारे काका हमसे कहते है कि ‘अरे बबुआ।।।! तोहार पास बतिया है, कर्तुतिया नाही है।’ अब काका के कैसे बता दे कि हम कर का सकते है। खाली बतिया सकते है। हमे यहु पता है कि बतिया से पेट नहीं भरता है बल्कि रोटी से पेट भरता है, अब रोटी की बात जहा तक है तो रोटी आंटे से बनती है और आंटा पैसे से आता है।

अब अगर पैसे की बात करे तो ट्रंप जब से अमेरिका के राष्ट्रपति बने है डॉलर मजबूत हो रहा है, रुपया नहीं गिर रहा है और ये बात हमको हमारे देश की अर्थव्यवस्था को दिशा देने वाली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अखबार की खबर में बताया था और खबर तो हमहू लिखा रहा कि वित्त मंत्री ने बताया है कि रुपया कमज़ोर नही हो रहा है बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है।

अब बात जब लिखने की आई तो लिखा तो काफी हमने भी दालमंडी के लिए। दालमंडी के खिलाफ भी और समर्थन में भी। अब कौन सा आपको रोल पसंद है ये आपकी पसंद है। वैसे पसंद की बात जहा तक है तो पसंद की हर चीज़ उपलब्ध हो ये बात कुदरत को नहीं पसंद होती है। कुदरत की बात जहा तक है तो कुदरत के करिश्मे भी बड़े अजीब होते है। जो मिलना मुश्किल हो वही दिल को अज़ीज़ होते है। अज़ीज़ की बात जहा तक है तो अब्दुल अज़ीज़ हमारे मरहूम वालिद के दोस्त थे अब्दुल अज़ीज़ चचा जो लज़ीज़ बिरयानी बनाते थे। लज़ीज़ बिरयानी के लज्ज़त की बात करे तो लज्ज़त तो सिवई में भी होती है और लज्ज़त गुझिया में भी होती है।

अब बात अगर गुझिया और सेवई की है तो क्षेत्राधिकारी अनुज यादव ने कह दिया कि अगर आप सिवई खिलाना चाहते है तो आपको गुझिया खाना पड़ेगा। अब खाने की बात है तो भाई किसने मना किया गुझिया खाने से ? भेज दो मुझे भाई मैं आराम से खाऊंगा आप सिवई खाना होगा तो आना खिला दूंगा। खिलाने की बात जहा तक है तो खिलाते तो हमारे और आपके बड़े बुज़ुर्ग थे। अब बात आप बड़े बुज़ुर्ग की करते है तो फिर हमारे काका भी बड़े बुज़ुर्ग है और उनके दोस्त पनारू च और खर्पत्तु च भी बड़े बुज़ुर्ग है। बात खर्पत्तु च की हो तो ये भी बात बताना ज़रूरी है कि बहुते गुस्सा करते है अगर उनका पूरा नाम खर्पत्तु यादव न लिखे तो।

लिखने की बात अगर करे तो लिखा तो आरटीआई दालमंडी के शफी उस्मानी, एड0 नजमी सुल्तान, एड0 निहालुद्दीन और आदिल खान ने भी था। मगर जवाब नहीं आया और आया तो बस अख़बार के पन्नो में खबर की दालमंडी की सड़क चौड़ी होगी वह भी लगभग 15 मीटर, माल बनेगा, होटल बनेगा। आलिशान रोड बनेगी। खबर के साथ ये भी खबर आई कि पीडब्लूडी ने इसके लिए एनओसी माँगा है। अब एनओसी की बात करे तो शायद इसको देने का असली अधिकार उनको है जो इस चौड़ीकरण के जद में अपना सब कुछ गवा बैठेगे। मगर उनसे कौन एनओसी मांगेगा क्योकि वह तो आम नागरिक है। अधिकतर मुस्लिम समुदाय से है तो हाशिये के इस इलाके पर किसकी नज़र जायेगी?

नज़र की बात करे तो नज़र हमको उस परियोजना पर भी डालना चाहिए जिसका प्रस्ताव यहाँ के पार्षद ने रखा और अब उस प्रस्ताव के धरातल पर उतरने के मसौदे तैयार हो रहे है। यानि आप कह सकते है कि ‘घर को आग लग गई, घर के चराग से।’ चराग की बात करे तो शमा कभी रोशन होती थी। अब गुल है। वैसे एक शमा भाभी हमारी पड़ोसन भी है, आज कल अपने मायके गई हुई है। वैसे मायका की बात करे तो लोग कहते है कि महिलाओं को उनके मायके का कुत्ता भी प्यारा होता है। कुत्तो की अगर बात करे तो सड़क के आवारा कुत्तो की ताय्दात बनारस में बढती ही जा रही है। तय्दात की बात करे तो मच्छर बहुत है शहर में। अब शहर में मच्छरों की इतनी अधिक संख्या है तो गाँव की क्या हाल होगी ये सोचा ही जा सकता है।

बात सोचने की निकली है तो दालमंडी के तरफ दुबारा आते है और प्रस्तावित चौडीकरण की बात कर लेते है। लगभग दस हज़ार दुकानदार के साथ उनकी दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों के भविष्य और उनके रोटी की बात करते है, यानि बात फिर वही से शुरू करते है जहा से बात शुरू हुई थी। इस चौडीकरण की जद में आने वाले और प्रभावित होने वालों के पुनर्स्थापना का प्लान तो शायद भगवान् ही जाने अथवा स्थानीय पार्षद इन्देश कुमार जाने मगर हमारे पास कोई अधिकारिक पुष्टि नही है। बात अगर इन्द्रेश कुमार की है तो बढ़िया इंसान है वो उनके ऊपर हमारी चाय बकाया है, ऐसा नही कि वह पिलाना नहीं चाहते, बस वक्त मुझे नहीं मिल पा रहा है, कभी रास्ता चलते पी लिया जायेगा…!

बात अगर रास्ते की किया है तो चौडीकरण कम नुकसान के साथ होने का एक रास्ता और भी था जिसको शायद स्थानीय पार्षद ने ध्यान नही दिया होगा। दशाश्वमेघ थाने के सामने से होते हुवे सीधे केसीएम के पास निकले इस मार्ग को चौडीकरण किया जाता तो अधिकतम 40-50 दुकाने और मकान इसके ज़द में आते और मार्ग चौड़ा हो गया होता क्योकि नई सड़क मार्ग से दशाश्वमेघ थाने तक का मार्ग इससे कही अधिक चौड़ा है। बस दिक्कत इसी एक मार्ग की थी जो दशाश्वमेघ थाने के सामने से होते हुवे केसीएम पर निकलता है। जनता का नुक्सान भी कम होता और यहाँ सर्राफा मार्किट है, जिसको बनने वाले एक माल में शिफ्ट किया जा सकता था। मगर इस मार्ग पर एक नुक्सान सियासत का होता, जो शायद सियासत नहीं चाहती होगी।

 

 

Tariq Azmi
Editor in Chief Editor
PNN24 News
लेख में लिखे गए समस्त शब्द लेखक के अपने विचार है. PNN24 न्यूज़ इन शब्दों से सहमत हो ये ज़रूरी नही है.

चाहने की बात जहा तक है तो चाहत तो सभी पूरी नही हो पाती है। जैसे कभी उज्जवल भविष्य के लिए दिकान लेने वाले दालमंडी के दुकानदार और उन दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारी। लोग कह रहे है कि दालमंडी और इससे लगायत राजा दरवाजा, हड़हा सराय आदि क्षेत्र के दुकानदार भय में जी रहे हैं। उनका कहना है कि अगर दालमंडी की गलियां चौड़ी हुईं, तो यहां के लगभग 10 हजार दुकानदार और ढाई लाख लोग प्रभावित होंगे। उनका कहना है कि हमें पहले कहीं और बसाया जाए फिर उजाड़ा जाए। उनको समझना चाहिए कि भविष्य में यहां होटल और मॉल भी खोले जाएंगे।

इतनी बतिया हम आपसे बतिया लिया तो एक बतिया और बताते चलते है कि हमारे बहुत करारे वाले एक सूत्र ने पश्चात मूत्र बताया है कि कतिपय लोग इस चौडीकरण के विरोध में अदालत का रुख कर चुके है, मसौदे तैयार हो रहे है और काम वहा भी तेज़ी से चल रहा है। हमने आपसे कहा था कि हमारे पार बाते है तो बाते हम आपसे कर चुके। अब आपको थोडा और बतिया बतियाना है तो नीचे कमेन्ट बॉक्स में आप लिख सकते है हम उहो बतिया लेंगे। बतिया कुल मिला कर हम बढ़िया कर लेते है ई बतिया भी केहू बतिया रहा था। समझे मिया जमालु….! नही समझे…? तो एक काम करो हमारे काका कहते है जब समझ न आये तो जाकर ‘पोगो’ देखो…! अरे नन्हे मुन्ने बच्चो का कार्टून चैनल है ‘पोगो’….!

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