पटियाला में सेना के कर्नल और उनके बेटे की पुलिस द्वारा पिटाई पर कर्नल की पत्नी ने माँगा इन्साफ, कहा सीबीआई जांच हो, पुलिस पर लगाया गंभीर आरोप

आदिल अहमद

डेस्क: पंजाब के पटियाला में बीते 13 और 14 मार्च की रात को पटियाला के सरकारी राजिंदरा अस्पताल के पास कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके बेटे एक ढाबे पर खड़े होकर खाना खा रहे थे। इसी दौरान कुछ पुलिसकर्मी वहां पहुंचे और कर्नल से गाड़ी हटाने के लिए कहा। बताया जा रहा है कि जब कर्नल ने उनके गलत व्यवहार पर आपत्ति जताई, तो एक पुलिसकर्मी ने उन पर हमला कर दिया। इसके बाद बाकी पुलिसकर्मियों ने भी उन पर और उनके बेटे पर लाठियां बरसानी शुरू कर दीं। इस हमले में कर्नल की एक बाजू टूट गई, जबकि उनके बेटे के सिर पर गहरी चोट आई।

अब ये मामला और भी तुल पकड़ता जा रहा है।  इस मामले को लेकर कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ की पत्नी जसविंदर कौर बाठ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने पंजाब पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। यही वजह की FIR दर्ज करने में देरी हुई। हालांकि, कर्नल की पत्नी द्वारा राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात करने के एक दिन बाद शुक्रवार, 21 मार्च को एक नई ऍफ़आईआर दर्ज की गई।

शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जसविंदर कौर बाठ ने इस मामले को CBI को सौंपने की मांग की। उन्होंने कहा कि ‘हम डीजीपी गौरव यादव से मिलने गए थे। लेकिन वे व्यस्त थे। हमारे पास सबूत थे। हमें वेट करने के लिए कहा गया। हमने डेढ़ घंटा वेट किया। फिर वो किसी मीटिंग की बात कहकर हमारी बात सुने बगैर अपने ऑफिस से चले गए। वर्दी पहनने वाले ब्रदर्स ऑफिसर्स होते हैं। लेकिन ये सिर्फ हम सोचते हैं। आर्मी के जवानों को उस तरह से सम्मान नहीं दिया जा रहा है जिस तरह से वर्दी पहने वालों को दिया जाना चाहिए।’

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कर्नल की पत्नी भावुक होकर रो पड़ीं और बताया कि कैसे उनके पति और बेटे को पंजाब पुलिस के 12 अधिकारियों ने बुरी तरह पीटा। आगे उन्होंने बताया कि ‘मैं अपनी आवाज सिर्फ इसलिए उठा रही हूं। क्योंकि मेरे बेटे ने कहा कि वह इस देश में नहीं रहना चाहता। क्योंकि यह अब रहने लायक नहीं है। मुझे उसे साबित करना था कि न्याय मिलेगा। फिर, हम राज्यपाल से मिलने गए और जब मैंने उनसे बात की और जब मैंने उन्हें तस्वीरें और क्रूरता दिखाई, तो उनकी आंखों में आंसू थे। उन्होंने डीजीपी को फोन किया और उनसे कहा कि इस मामले में ऍफ़आईआर कराना मेरा अधिकार है। मैं हमारे साथ खड़े होने के लिए राज्यपाल को धन्यवाद देना चाहती हूं।’

जसविंदर कौर ने बताया कि एसएसपी नानक सिंह ने कहा था कि एक मजिस्ट्रियल जांच स्थापित की गई थी, लेकिन एफआईआर को बदला नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि एक पुलिस इंस्पेक्टर ने उन्हें बताया कि कुछ पुलिसकर्मियों के नाम ऍफ़आईआर में नहीं जोड़े जा सकते। क्योंकि, उन्हें डीआईजी द्वारा एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में सम्मानित किया गया है और वे प्रमोट होने वाले हैं।

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