नशे के कारोबार पर अंकुश लगाने में नाकाम प्रशासन कही बना न दे ‘उड़ता पलिया’, छोटे-मोटे तस्करों को पकड़कर पीठ थपथपा रही पलिया पुलिस क्यों नहीं पहुच पा रही मुख्य सप्लायर तक?

फारुख हुसैन

लखीमपुर खीरी: भारत और नेपाल सीमा से सटा लखीमपुर खीरी के पलिया तहसील में इस वक्त नशे का कारोबार जिस तरह से तेज़ी के साथ फैल रहा है, उसको देखकर ये कहना ग़लत नहीं होगा कि आने वाले वक्त में पलिया नगर नशाखोरी के मामले में ‘उड़ता पलिया’ बन सकता है। उल्लेखनीय है कि लखीमपुर खीरी जिले का पलिया नेपाल बॉर्डर के नजदीक है। जहां विभिन्न प्रकार के वस्तुओं की तस्करी की जाती है। लेकिन कुछ तस्करों के द्वारा मादक पदार्थों की तस्करी भी लगातार की जा रही है।

यही कारण है कि पलिया नगर में नशीले पदार्थों का जोर बढ़ता जा रहा है। बार्डर समेत पूरे क्षेत्र में न जाने कितने ऐसे अड्डे हैं जो पुलिस की नाक के नीचे युवाओं की जिंदगी में ज़हर घोल रहे हैं। नशे के कारोबारी मोटे-मुनाफे के चलते धड़ल्ले से नशाखोरी का सामान बेच रहे हैं और स्थानीय प्रशासन हाथ पैर हाथ धरे बैठा दिखाई दे रहा है। लेकिन हां प्रशासन के द्वारा कुछ एक नशे के खरीद-फरोख्त करने वालों पर कार्यवाही भी की जाती है। जिसमें नशीले पदार्थों को बेच रहे तस्करों को नशीले पदार्थों के साथ गिरफ्तार भी किया जाता है। मगर हकीकत में यह सिर्फ एक विक्रेता होते है, कोई बड़ा सप्लायर नही होता है।

बीते सोमवार को भी इंडो नेपाल बॉर्डर के गौरीफंटा कोतवाली क्षेत्र में पुलिस और एसएसबी की संयुक्त टीम के द्वारा तीन मादक पदार्थ की खरीद-फरोख्त करने वाले तस्कर अभय प्रताप, अनिकेत और अंकित कुमार निवासी बनगवां कोतवाली गौरीफंटा को 4.11 ग्राम ब्राउन शुगर के साथ गिरफ्तार किया गया है जिनको पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्यवाही करते हुए जेल भेज दिया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यहां पर है की आए दिन जिस तरीके से यह छोटे-छोटे मादक पदार्थ बेचने वालों पर प्रशासन कार्यवाही कर अपनी पीठ थपथपाने का कार्य करता दिखाई दे रहा है, वही प्रशासन आखिर मुख्य सपलायर तक क्यों नही पहुच पा रहा है?

प्रशासन यह क्यों नहीं सोच रहा है कि आखिर मादक पदार्थ को बड़े पैमाने पर पड़ोसी देश नेपाल से लाकर बेचने का आखिर काम कौन कर रहा है ? आखिर पलिया नगर के कौन ऐसे लोग हैं जिनके तार पड़ोसी देश नेपाल से जुड़ें हुए हैं ? पुलिस आखिर उनको क्यों नहीं गिरफ्तार कर रही है ? देखा जाए तो पलिया नगर में मादक पदार्थों के साथ-साथ प्रतिबंधित नशीली दवाओं का सेवन भी युवाओं के द्वारा खूब किया जा रहा है। जिसमें पुरुष ही नहीं महिलाएं भी शामिल है, जो अपनी जिंदगी से खिलवाड़ कर रही हैं और जिसके फलस्वरूप सैकड़ों युवक, युवतियां नशे की चपेट में हैं और इनमें 16 से 30 वर्षीय और 13-14 वर्ष के बच्चे तक शामिल हैं। मादक पदार्थों की सेवन करने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और इसका ही फायदा इलाके के मादक पदार्थो के तस्कर उठा रहे है।

साथ ही आए दिन हो रही प्रतिबंधित दवा व नशीले पदार्थों की बरामदगी इस बात की तस्दीक कर रही है कि नशा कारोबार के सरगना अब भी पुलिस व सीमा पर तैनात सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ से दूर हैं। हालांकि सोचनीय विषय यह भी है कि नगर में जिस तरीके से बहुत ही कम वक्त में लोग करोड़ों रुपए के मालिक बनते दिखाई दे रहे हैं, आखिर वह कौन सा ऐसा कारोबार कर रहे हैं जिसमें वह दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं। जबकि कुछ वक्त पहले उनके पास दो वक्त के खाने के भी लाले पड़ रहे थे। ऐसे लोगों की शासन प्रशासन के द्वारा जांच होनी चाहिए। निःसंदेह नशीले पदार्थों की नगर में फैलती जड़े कहीं ना कहीं शामिल जरूर मिलेंगी।

गौरतलब है की इन दोनों पलिया नगर में मादक पदार्थों की खरीद-फरोख्त तेजी से हो रही है नगर में हर गली हर नुक्कड़ हर चौराहे पर ब्राउन शुगर,चरस, और स्मैक जैसे मादक पदार्थ धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। साफ तौर पर लग रहा है कि जल्द ही इन नशीले कारोबारी पर अंकुश नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं कि नगर के अधिकांश युवा नशें के इस खौफनाक दलदल में धंस जाएंगे। वही पलिया में फैल रहा नशा इस बात की ओर इशारा कर रहा है की  स्थानीय प्रशासन कहीं ना कहीं इस मामले में उदासीन है। या फिर उसकी कार्यशैली पर सवालिया निशान भी उठाया जा सकता है। सूत्रों की माने तो पुलिस पर ऐसे मामलों में ले देकर छोड़ने का आरोप ही लग रहा है। पलिया निवासी एक युवक जो अक्सर थाने चौकी पर लोगो की पैरवी करते हुवे दिखाई देता है, उस पर हमारे सूत्र बताते है कि वह ऐसे मामलो में पुलिस की सेटिंग का काम करता है।

उधर नशे के बढ़ते कारोबार पर अंकुश लगाने को लेकर भारत-नेपाल सीमा पर मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पलिया क्षेत्र के गौरीफंटा में भारत-नेपाल सीमा पर विशेष डॉग स्क्वॉड तैनात किए गए हैं।डॉग एक्सपर्ट के अनुसार, सीमा पर तीन डॉग स्क्वॉड की तैनाती की गई है। ये स्क्वॉड आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में काम कर रहे हैं। इनमें से एक कुत्ते का नाम सीजेन है, जो 15 महीने का है। डॉग एक्सपर्ट ने बताया कि दो दिन पहले ही सीजेन की मदद से लगभग 8 ग्राम ब्राउन शुगर पकड़ी गई। सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से सीमा पर होने वाली तस्करी पर प्रभावी नियंत्रण की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि डॉग स्क्वॉड की तैनाती से तस्करों के लिए बचकर निकलना मुश्किल हो जाएगा। सरकार तस्करी रोकने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल कर रही है।

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